क्या कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश कर एसआईआर प्रक्रिया रोकने की मांग की?

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क्या कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश कर एसआईआर प्रक्रिया रोकने की मांग की?

सारांश

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया को 'अभूतपूर्व संकट' बताया। उन्होंने इससे जुड़े गंभीर सवाल उठाते हुए तत्काल रोकने की मांग की। क्या यह प्रक्रिया लोकतंत्र की विश्वसनीयता को प्रभावित कर रही है?

Key Takeaways

  • आवश्यकता है कि चुनाव आयोग शिक्षकों के साथ संवाद करे।
  • बीएलओ की मौतों की जांच की जानी चाहिए।
  • प्रक्रिया को निलंबित किया जाना चाहिए।
  • सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए।
  • जनता की चिंताओं का ध्यान रखना अनिवार्य है।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सोमवार को लोकसभा में एक स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसमें देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की गई है। टैगोर ने इसे 'अभूतपूर्व संकट' से जोड़ते हुए गंभीर सवाल उठाए।

अपने नोटिस में टैगोर ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा लागू की गई यह प्रक्रिया एकतरफा, तानाशाही और बिना किसी तैयारी के शुरू कर दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने न तो शिक्षकों से कोई चर्चा की, न राज्यों के साथ समन्वय किया और न ही जनता की परेशानियों का ध्यान रखा।

टैगोर ने अपने प्रस्ताव में कहा कि यह एसआईआर प्रक्रिया एक एकाधिकारवादी, अचानक लागू की गई और अत्यधिक दबाव वाली कवायद बन चुकी है।

सांसद ने कहा कि बीएलओ शिक्षक दिन-रात काम करने को मजबूर हैं। वे कक्षा और चुनावी कार्य के बीच फंसे हुए हैं। कई लोग थकावट के कारण गिर पड़े, कुछ की मौत हो गई और कुछ ने आत्महत्या तक कर ली। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने अब तक कोई जांच नहीं कराई है और न ही राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के हिसाब से बीएलओ की मौतों के आंकड़े जारी किए हैं।

टैगोर ने इसे 'संस्थागत क्रूरता' करार दिया। उन्होंने कहा कि न तो आत्महत्याओं की निगरानी की कोई व्यवस्था है, न मानसिक स्वास्थ्य सहायता, न मुआवजा प्रावधान और न किसी प्रकार का आपातकालीन प्रोटोकॉल।

उन्होंने कहा कि आम जनता भी इस प्रक्रिया की वजह से भ्रम, घबराहट, बार-बार होने वाले सत्यापन और अविश्वास की स्थिति से गुजर रही है।

कांग्रेस सांसद ने कहा, "जब मतदाता सूची तैयार करने वाले कर्मचारी ही भारी दबाव में गिरने लगें, तो लोकतंत्र की विश्वसनीयता भी गिर जाती है।"

लोकसभा के सामने उन्होंने पांच प्रमुख मांगें रखीं। 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एसआईआर प्रक्रिया को तुरंत निलंबित किया जाए। हर एक बीएलओ की मौत और आत्महत्या की राष्ट्रीय स्तर पर पूरी जांच की जाए। प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। चुनावी प्रक्रियाओं में सुधार कर बीएलओ को सुरक्षित वातावरण मिले और चुनाव आयोग को तलब कर इस अव्यवस्थित लागू प्रक्रिया का स्पष्टीकरण मांगा जाए।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से लें। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर के स्थगन प्रस्ताव ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि क्या चुनाव आयोग की प्रक्रियाएं सही हैं? हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि लोकतंत्र की मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा की जा सके।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर प्रक्रिया क्या है?
एसआईआर प्रक्रिया स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का संक्षिप्त रूप है, जो चुनाव आयोग द्वारा लागू की गई है।
कांग्रेस सांसद ने इस प्रक्रिया के खिलाफ क्या कहा?
कांग्रेस सांसद ने इसे अभूतपूर्व संकट बताते हुए तत्काल रोकने की मांग की।
बीएलओ शिक्षक कौन हैं?
बीएलओ शिक्षक उन कर्मचारियों को कहा जाता है जो मतदाता सूची तैयार करने का कार्य करते हैं।
क्या इस प्रस्ताव का कोई प्रभाव होगा?
यह प्रस्ताव यदि स्वीकार होता है, तो चुनाव आयोग को अपनी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
इस मुद्दे पर आम जनता की क्या राय है?
आम जनता इस प्रक्रिया के कारण भ्रम और घबराहट का सामना कर रही है।
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