क्या रजनीकांत का सफर बस कंडक्टर से 'थलाइवा' तक प्रेरणादायक है?
सारांश
Key Takeaways
- रजनीकांत की प्रेरणादायक यात्रा से हमें संघर्ष और मेहनत की ताकत का एहसास होता है।
- उन्होंने अपने करियर में 100 से अधिक फिल्में की हैं।
- रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है।
- उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं जिनमें पद्म भूषण और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड शामिल हैं।
- उनकी फिल्में विभिन्न भाषाओं में रिलीज हुई हैं।
मुंबई, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकांत का स्टाइल और उनके डायलॉग्स उनकी एक अनोखी पहचान बनाते हैं। उनके प्रशंसक न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी फैले हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह कभी एक बस कंडक्टर थे? उनकी बस में टिकट काटने का अंदाज इतना खास था कि लोग उनकी बस में बैठने के लिए लंबी कतार लगाते थे।
यह कहानी उनके संघर्ष और मेहनत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बताती है कि कैसे गरीबी और कठिनाइयों के बीच से उठकर कोई व्यक्ति बड़े सपने पूरे कर सकता है।
रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनका जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक साधारण मराठी परिवार में हुआ था। चार साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा।
युवावस्था में रजनीकांत ने कुली, कारपेंटर और बस कंडक्टर का काम किया। बेंगलुरु की बसों में उनका यह सफर अत्यंत महत्वपूर्ण था। बस में टिकट काटने का उनका अंदाज और लोगों से मिलने का तरीका ऐसा था कि वे जल्दी ही यात्रियों के बीच लोकप्रिय हो गए। बस ड्राइवर और सहकर्मी भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। इसी दौरान उनके अंदर अभिनय की ओर झुकाव भी बढ़ा और उन्होंने थिएटर में नाटक करना शुरू किया।
रजनीकांत की जिंदगी में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उनके दोस्त राज बहादुर ने उन्हें मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया। उस समय उनके लिए यह कदम आसान नहीं था क्योंकि उन्होंने परिवार से आर्थिक मदद नहीं ली थी। दोस्तों की मदद से उन्होंने एक्टिंग कोर्स किया और तमिल भाषा पर भी पकड़ बनाई। इस दौरान उनके प्रदर्शन को देखकर प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर के. बालाचंद्र ने उन्हें फिल्म 'अपूर्वा रागनगाल' में मौका दिया। हालांकि यह भूमिका छोटी और नेगेटिव थी, लेकिन यह रजनीकांत के करियर की शुरुआत थी।
शुरुआत में उन्हें कई फिल्मों में विलेन के रोल मिले, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी विलेन इमेज को तोड़ते हुए हीरो के रोल करना शुरू किया। फिल्म 'भुवन ओरु केल्वी कुरी' में उन्होंने हीरो की भूमिका निभाई और लोगों ने उनकी जोड़ी मुथुरमम के साथ बहुत पसंद की। करियर में आगे बढ़ते हुए उनकी फिल्मों की गिनती 100 से भी ज्यादा हो गई। उनके करियर का बड़ा मोड़ फिल्म 'बाशा' थी, जिसने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाई।
रजनीकांत की फिल्में सिर्फ तमिल में ही नहीं बल्कि हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और बांग्ला में भी बनी हैं। उनकी पहली हिंदी फिल्म 'अंधा कानून' और पहली बांग्ला फिल्म 'भाग्य देवता' थी। उनकी फिल्म 'मुथू' जापान में रिलीज हुई और 'चंद्रमुखी' तुर्की और जर्मनी में दिखाई गई। 'शिवाजी' फिल्म ने यूके और दक्षिण अफ्रीका में बॉक्स ऑफिस पर जगह बनाई।
रजनीकांत ने कई पुरस्कार भी हासिल किए। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के अवॉर्ड, भी मिला। तमिलनाडु और महाराष्ट्र में भी उन्हें कई राज्य फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया।