क्या कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ आंदोलन शुरू किया?

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क्या कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ आंदोलन शुरू किया?

सारांश

कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। खड़गे ने कहा कि 5 जनवरी से 'मनरेगा बचाओ अभियान' शुरू होगा। यह योजना गरीबों के लिए एक अधिकार है, और इसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। क्या यह सरकार का एक नया खेल है?

Key Takeaways

  • मनरेगा का नाम बदलने का प्रयास
  • कांग्रेस का आंदोलन शुरू करना
  • 5 जनवरी से 'मनरेगा बचाओ अभियान'
  • मजदूरों के अधिकार की रक्षा
  • केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर वीबी जी रामजी जी किए जाने पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष छेड़ने का ऐलान किया है। शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई कांग्रेस कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूसी) की महत्वपूर्ण बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट किया कि पार्टी इस निर्णय के विरोध में सड़कों से लेकर संसद तक आंदोलन करेगी।

बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'गांधी' नाम से समस्या है। यही कारण है कि मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल एक नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि मजदूरों के अधिकार को कमजोर कर उसे खैरात योजना में बदलने की साजिश है। खड़गे ने घोषणा की कि 5 जनवरी से देशभर में 'मनरेगा बचाओ अभियान' शुरू होगा। मनरेगा किसी सरकार की कृपा से मिलने वाली योजना नहीं है, बल्कि यह भारतीय संविधान से मिला काम का अधिकार है। यह योजना ग्रामीण मजदूरों के सम्मान, रोजगार और आत्मनिर्भरता से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासियों, वंचित वर्गों और महिलाओं को गांवों में रोजगार देकर मनरेगा ने बड़े पैमाने पर पलायन रोका है, लेकिन मौजूदा सरकार गरीबों का यह हक छीनने का प्रयास कर रही है।

खड़गे ने याद दिलाया कि खुद मोदी सरकार ने नीति आयोग की रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि मनरेगा एक अच्छी योजना है और इसके तहत टिकाऊ परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्टों में भी मनरेगा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया है। इसके बावजूद सरकार इस कानून को कमजोर करने और नाम बदलने पर आमादा है। उन्होंने कोविड काल का जिक्र करते हुए कहा कि यदि मनरेगा जैसी योजना नहीं होती तो लाखों प्रवासी मजदूर भूख और बेरोजगारी के कारण मर जाते। यह योजना सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गरीब जनता की सुरक्षा के लिए लाई गई थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने एक-एक करके इसके अधिकार छीन लिए हैं। खड़गे ने चेतावनी दी कि जो लोग मनरेगा पर निर्भर हैं, उनमें भारी गुस्सा है और यह सरकार को भारी पड़ेगा, जैसा कि कृषि कानूनों के मामले में हुआ था।

खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस फैसले से पहले किसी भी स्टेकहोल्डर, राज्य या मजदूर संगठन को विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यह कानून गरीबों को दबाने और कुचलने के लिए लाया गया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर सड़क और संसद दोनों जगह संघर्ष करेगी। उन्होंने कहा कि जब सरकार यह दावा कर रही है कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तो फिर गरीबों को रोजगार देने वाली योजना को कमजोर क्यों किया जा रहा है? उन्होंने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने को राष्ट्रपिता का अपमान बताया और कहा कि यह सिर्फ गांधी परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का अपमान है। सीडब्ल्यूसी की बैठक में सर्वसम्मति से देशव्यापी आंदोलन का फैसला लिया गया है।

खड़गे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने 16 दिसंबर 2025 को संसद में स्वीकार किया था कि नीति आयोग के अध्ययन में मनरेगा के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। कोरोना काल में इस योजना ने प्रवासी मजदूरों को संबल दिया। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी लगातार मनरेगा को लेकर आवाज उठाते रहे हैं और कांग्रेस आगे भी इस कानून की हिफाजत के लिए लड़ती रहेगी।

उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस ने शपथ ली कि मनरेगा को केंद्र में रखकर एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा। पार्टी ने संकल्प लिया कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की हर हाल में रक्षा करेगी, ग्रामीण मजदूरों के सम्मान, रोजगार, मजदूरी और समय पर भुगतान के अधिकार के लिए संघर्ष करेगी तथा मांग-आधारित रोजगार और ग्राम सभा के अधिकारों की रक्षा करेगी। साथ ही, गांधी जी का नाम हटाने और मजदूरों के अधिकार को खैरात में बदलने की हर साजिश का लोकतांत्रिक विरोध किया जाएगा।

राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि काम के अधिकार पर आधारित एक विचार था। इस योजना से करोड़ों लोगों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी मिली और पंचायती राज व्यवस्था को राजनीतिक हिस्सेदारी व वित्तीय समर्थन मिला। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अधिकारों के विचार, संघीय ढांचे और राज्यों के वित्तीय अधिकारों पर हमला कर रही है। उन्होंने कहा कि यह फैसला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से लिया गया है, जिसमें मंत्रियों और कैबिनेट से भी सलाह नहीं ली गई।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ऐसे फैसलों से फायदा चंद पूंजीपतियों को होता है, जबकि देश और गरीब जनता को नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह फैसला अंततः विफल साबित होगा।

Point of View

बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाएगा।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

मनरेगा का नाम क्यों बदला जा रहा है?
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार महात्मा गांधी का नाम हटाकर मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस ने किस आंदोलन की घोषणा की है?
कांग्रेस ने 5 जनवरी से 'मनरेगा बचाओ अभियान' शुरू करने की घोषणा की है।
क्या मनरेगा सिर्फ एक योजना है?
नहीं, मनरेगा काम के अधिकार पर आधारित एक विचार है, जो गरीबों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देता है।
इस निर्णय से किसे नुकसान होगा?
इस निर्णय का सबसे बड़ा नुकसान ग्रामीण मजदूरों को होगा, जो इस योजना पर निर्भर हैं।
क्या यह आंदोलन सफल होगा?
अगर यह आंदोलन सही दिशा में आगे बढ़ता है, तो यह मजदूरों के अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
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