क्या महाराष्ट्र में चैरिटेबल ट्रस्ट की जमीन की अवैध बिक्री में राज्य मंत्री मोहोल शामिल हैं?
सारांश
Key Takeaways
- राज्य मंत्री पर गंभीर आरोप हैं।
- चैरिटेबल ट्रस्ट की जमीन की बिक्री की गई।
- जमीन की कीमत का कम आकलन किया गया।
- कांग्रेस ने इस्तीफे की मांग की है।
- सभी प्रक्रियाएँ एक ही दिन में हुईं।
मुंबई, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस ने शनिवार को केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल के इस्तीफे की मांग की है। उन पर एक चैरिटेबल ट्रस्ट की जमीन को एक निर्माण कंपनी को अवैध रूप से बेचने में कथित संलिप्तता का आरोप लगाया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अतुल लोंढे पाटिल ने कहा कि एक चैरिटेबल ट्रस्ट की जमीन, जिस पर हीराचंद दिगंबर जैन छात्रावास और एक मंदिर स्थित है, को गोखले बिल्डर्स को मात्र 230 करोड़ रुपए में बेचा गया, जबकि इसकी वास्तविक कीमत लगभग 2,500 करोड़ रुपए है।
राज्य मंत्री मोहोल के दावों का खंडन करते हुए पाटिल ने कहा कि जिस तरह से एक ही दिन में यह सब हुआ, उससे स्पष्ट होता है कि इस प्रक्रिया के पीछे राजनीतिक संरक्षण का हाथ है।
उन्होंने बताया कि ट्रस्ट डीड में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि जमीन को कभी भी बेचा नहीं जा सकता और इसका उपयोग केवल शिक्षा, छात्रों की मदद और वहां के जैन मंदिर के संचालन के लिए किया जा सकता है। यदि धन जुटाने की आवश्यकता हो, तो कुछ दुकानें या व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाकर आय अर्जित की जा सकती है, लेकिन जमीन की बिक्री की अनुमति नहीं है।
पाटिल ने सवाल उठाया, "क्या यह संभव है कि कोई बिल्डर किसी धर्मार्थ ट्रस्ट, रजिस्ट्री कार्यालय, नगर निगम और बैंकों पर बिना राजनीतिक दबाव के, अपना काम इतनी तेजी से करवा सके?"
उन्होंने कहा, "यह कैसे हो सकता है कि बिक्री विलेख, जमीन का गिरवी रखना, दो बैंकों द्वारा ऋण स्वीकृत करना, और धनराशि जारी करना, सब कुछ एक ही दिन में हो गया?"
पाटिल ने कहा कि मोहोल ने जून 2024 में मंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन उन्होंने गोखले बिल्डर्स से दिसंबर में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि जमीन पहले से ही एक धर्मार्थ ट्रस्ट की है, और इसे बहुत कम मूल्यांकन पर बेचा गया है।
पाटिल ने इस्तीफे और जांच की मांग की और कहा कि अगर मोहोल बेदाग साबित होते हैं, तो उन्हें सरकार में वापस आना चाहिए, नहीं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।