क्या कांग्रेस ने पीठ में छुरा घोंपकर मुंबई में खाता खोलने की उम्मीद खो दी है?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव में अकेले उतरकर शिवसेना-यूबीटी को धोखा दिया है।
- आनंद दुबे का दावा है कि कांग्रेस सिंगल डिजिट में सिमट जाएगी।
- वारिस पठान के बयान पर आनंद दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- आरएसएस की तारीफ पर आनंद दुबे ने कांग्रेस को सीखने के लिए कहा।
- शिवसेना की मुख्य ताकत उद्धव ठाकरे बने रहेंगे।
मुंबई, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना-यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने यह आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र में 'उद्धव ठाकरे' के नाम का उपयोग कर लाभ उठाया है। बीएमसी चुनाव में अकेले उतरने का निर्णय लेकर कांग्रेस ने शिवसेना-यूबीटी की पीठ में छुरा घोंपा है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए आनंद दुबे ने कहा, "2019 से पहले कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त हो चुका था, जिसे शिवसेना-यूबीटी ने अपने साथ लेकर उसकी मदद की। लेकिन कांग्रेस ने शिवसेना-यूबीटी का नाम छीनने का कार्य किया। कांग्रेस मुंबई में भारतीय जनता पार्टी की बी-टीम के रूप में कार्य कर रही है। जब कांग्रेस को पता है कि बीएमसी चुनाव कितने महत्वपूर्ण हैं, तो फिर अकेले चुनाव क्यों लड़ा जा रहा है?"
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस मुंबई में अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी और सिंगल डिजिट तक सिमट जाएगी। आनंद दुबे ने यह भी कहा कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका सहित पूरे महाराष्ट्र में 28 नगर निगमों के चुनाव चल रहे हैं। कांग्रेस को एक-दो सीटों के अलावा और कहीं जीत नहीं मिलेगी, क्योंकि मुंबई में कांग्रेस की कोई असली ताकत नहीं है।
एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान के 'बुर्का वाली मेयर' वाले बयान पर भी आनंद दुबे ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम करना और विवादास्पद बयान देना वारिस पठान की पुरानी आदत है। यदि उन्हें बुर्का वाली या पठान-खान मेयर बनाना है तो उन्हें पड़ोस के देशों में चले जाना चाहिए।
शिवसेना-यूबीटी के प्रवक्ता ने कहा कि वारिस पठान भारतीय जनता पार्टी की बी-टीम के रूप में कार्य करते हैं। ऐसे समय में उनका बयान बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पूरी मुंबई में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ही मुख्य ताकत बनकर उभरेगी और यहाँ एक हिंदू और मराठी मेयर होगा।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा आरएसएस की तारीफ पर आनंद दुबे ने कहा कि कांग्रेस को इस संगठन, उसके अनुशासन और मातृभूमि के प्रति उसके समर्पण से सीखना चाहिए।
आनंद दुबे ने कहा, "आरएसएस पूरे देश में 60-70 लाख से अधिक वॉलंटियर्स के जरिए देश की सेवा करता है। हालांकि यह सीधे तौर पर राजनीति में शामिल नहीं है, लेकिन यह पर्दे के पीछे से राजनीतिक पार्टियों को सपोर्ट करता है। आरएसएस इस देश की परंपरा को चलाने वाला एक सांस्कृतिक और संस्कारी संगठन है। इस संगठन के जैसा कोई नहीं बन सकता है। यदि कांग्रेस ऐसे संगठन से नहीं सीखेगी तो क्या वह खुद से ही सीखेगी, जिसमें अनुशासन और रणनीति का कोई अता-पता नहीं होता है?"