क्या दवा नहीं, आपके शरीर में ही छिपा है खुद को ठीक करने का जादू, आयुर्वेद से जानें रहस्य?
सारांश
Key Takeaways
- स्व-उपचार शक्ति को समझें और अपने स्वास्थ्य में सुधार करें।
- प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करें जैसे हल्दी और तुलसी।
- संतुलित आहार और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- नींद और मानसिक शांति को नज़रअंदाज़ न करें।
- आधुनिक विज्ञान की जानकारी को अपने लाभ के लिए उपयोग करें।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान समय में हम अक्सर बीमारियों का इलाज दवाओं के माध्यम से करना पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे शरीर में खुद को ठीक करने की अद्भुत क्षमता छिपी हुई है? इसे आयुर्वेद में स्व-उपचार शक्ति या प्राकृतिक हीलिंग पावर कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में संतुलन और ऊर्जा का सही प्रवाह बनाए रखना स्वास्थ्य का मूल आधार है। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तब बीमारियां उभरती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर, मन और आत्मा तीनों का तालमेल स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यदि इन तीनों में सामंजस्य बना रहे, तो शरीर खुद ही रोगों से लड़ने और उन्हें ठीक करने में सक्षम होता है। उदाहरण के लिए, हल्के खाने-पीने की आदत, नियमित योग और प्राणायाम शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसी प्रकार, पर्याप्त नींद और मानसिक शांति भी शरीर की स्व-उपचार शक्ति को सक्रिय करती हैं।
आयुर्वेद में हर्बल उपचार और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि ये शरीर की प्राकृतिक शक्ति को बाधित किए बिना उसे संतुलित करते हैं। हल्दी, अश्वगंधा, तुलसी और अदरक जैसी जड़ी-बूटियां न केवल बीमारियों से लड़ती हैं बल्कि शरीर के अंदर प्राकृतिक हीलिंग प्रोसेस को भी बढ़ावा देती हैं। इसके अलावा, आयुर्वेद में पंचकर्म जैसी प्रक्रियाओं का प्रयोग भी शरीर को डिटॉक्सीफाई और ऊर्जा संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है।
आयुर्वेद हमें यह भी सिखाता है कि रोजमर्रा की आदतें और जीवनशैली ही सबसे बड़ी दवा हैं। संतुलित आहार, समय पर भोजन, व्यायाम, योग और सकारात्मक सोच शरीर की प्राकृतिक हीलिंग क्षमता को मजबूत बनाते हैं। जब हम अपनी जीवनशैली में सुधार करते हैं तो शरीर खुद को ठीक करने लगता है और दवाओं की जरूरत कम हो जाती है।
आधुनिक विज्ञान भी यही कहता है। हमारे शरीर में स्टेम कोशिकाएं क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करती हैं। इम्यून सिस्टम रोजाना हजारों रोगाणुओं से लड़ता है। लीवर खुद को दोबारा विकसित कर सकता है। आंत-मस्तिष्क अक्ष शरीर और दिमाग को जोड़कर उपचार में मदद करता है।