क्या ईडी ने देहरादून में सरकारी जमीन घोटाले में 2.20 करोड़ की अचल संपत्ति कुर्क की?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने 2.20 करोड़ की संपत्ति कुर्क की।
- सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप।
- जांच सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित है।
- गोपनीयता और पारदर्शिता की आवश्यकता।
- जनता को सूचनाएं देने की अपील।
देहरादून, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के देहरादून उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने 1 अक्टूबर को सुधीर विंडलास तथा अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत कार्रवाई की।
इस कार्रवाई में लगभग 2.20 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है। यह संपत्ति गोपाल गोयनका के नाम पर दर्ज है।
यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), देहरादून द्वारा दर्ज की गई विभिन्न प्राथमिकी (एफआईआर) के आधार पर की गई जांच के बाद की गई। सीबीआई की प्राथमिकी में सरकारी जमीन पर अन्य व्यक्तियों द्वारा सरकारी राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध कब्जे और अतिक्रमण के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
ईडी की जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि गोपाल गोयनका और उसके सहयोगियों ने देहरादून के जोहरी गांव में सरकारी जमीन लगभग 2 हेक्टेयर की धोखाधड़ी से बिक्री की। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में गड़बड़ी की, जिसमें जिल्द, खतौनी और खसरा दस्तावेजों में बदलाव किया गया। जमीन के वास्तविक क्षेत्रफल को रिकॉर्ड में गलत तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जिससे यह बिक्री संभव हो सकी।
इस जांच से यह भी सामने आया कि गोपाल गोयनका ने इस अवैध तरीके से बेची गई सरकारी जमीन से गैरकानूनी तरीके से भारी धनराशि अर्जित की है। इस धनराशि का उपयोग और भी अचल संपत्तियां खरीदने में किया गया, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा मामला सामने आया है।
ईडी ने इस मामले में 1 अक्टूबर को पीएमएलए की धारा के तहत उक्त अचल संपत्तियों को कुर्क कर लिया। जांच जारी है और आगे भी कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।
प्रवर्तन निदेशालय ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसी अवैध गतिविधियों को रोकने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम उठाने के लिए वह लगातार सतर्क है। साथ ही, जनता से भी अपील की गई है कि वे इस प्रकार की गड़बड़ी की सूचना अधिकारियों को दें ताकि देश की सरकारी संपत्ति की रक्षा की जा सके।