क्या सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई टली?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई टली।
- अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
- दिल्ली दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान गई थी।
- गुलफिशा फातिमा को 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था।
- चारों आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई को टाल दिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
इन चारों आरोपियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन पर 2020 के दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारियों के तौर पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ शरजील इमाम, उमर खालिद और गुलफिशा फातिमा की याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में भड़के 2020 के दिल्ली दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि यह हिंसा एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के दौरान अंजाम दिया गया था।
जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को 28 जनवरी, 2020 को बिहार के जहानाबाद से जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
उमर खालिद ने भी यूएपीए मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद 10 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर भी इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
इन आरोपों की गंभीरता और अभियुक्तों की लंबी कैद के कारण यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
गुलफिशा फातिमा को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की एक प्रमुख आयोजक माना जाता है। उन्हें 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह यूएपीए के तहत जेल में बंद हैं। बाद में दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।