क्या दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को नोटिस दिया?

सारांश
Key Takeaways
- कोर्ट ने पुलिस को नोटिस जारी किया है।
- अगली सुनवाई **7 अक्टूबर** को होगी।
- आरोपियों पर गंभीर आरोप हैं।
- दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया है।
- 2020 के दंगे के पीछे बड़ी साजिश का आरोप है।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 2020 के दिल्ली दंगा साजिश मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अधिकांश आरोपी छात्र हैं और 5 वर्षों से जेल में बंद हैं। इसके बाद, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
इस मामले में 19 सितंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश टल गई थी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
जमानत के लिए याचिका दायर करने वालों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप हैं, जो फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे एक बड़ी साजिश से जुड़े हैं।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 सितंबर को इमाम, खालिद और अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद को भी अलग बेंच ने जमानत नहीं दी थी।
दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया है। पुलिस का दावा है कि 2020 में हुए दंगे पूर्व नियोजित और सुनियोजित साजिश का परिणाम थे। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने हिंसा भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उमर खालिद और शरजील इमाम की गंभीर संलिप्तता प्रतीत होती है। कोर्ट ने उन पर लगाए गए आरोपों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने जो भाषण दिए, वे सांप्रदायिक प्रकृति के थे और उनका मकसद बड़ी भीड़ इकट्ठा करना था।
2020 की हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच शुरू हुई थी। इस हिंसक घटना में 53 लोगों की मौत हो गई और 700 से अधिक लोग घायल हुए।