क्या अतिशी ने बारिश से हुई मौतों पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर परवेश वर्मा को बर्खास्त करने की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में बारिश के दौरान कई जानें गई हैं।
- आम आदमी पार्टी की नेता अतिशी ने सरकार की नाकामी को उजागर किया है।
- मंत्री परवेश वर्मा को बर्खास्त करने की मांग की गई है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आम आदमी पार्टी की नेता अतिशी ने राजधानी में बारिश के दौरान हुई एक और दुखद मौत को लेकर भाजपा की "चार इंजन वाली सरकार" पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
अतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री परवेश वर्मा को तुरंत पद से हटाने की मांग की है। अतिशी ने कहा कि बुधवार सुबह हंसराज सेठी मार्ग पर बारिश के दौरान एक पेड़ गिरने से एक युवक की मौत हो गई, जबकि एक युवती गंभीर रूप से घायल है और जिंदगी की जंग लड़ रही है। उन्होंने इसे "प्राकृतिक आपदा" मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह घटना सरकार की मानसून से संबंधित तैयारियों की पूरी तरह नाकामी का नतीजा है।
उन्होंने लिखा, "यह कोई अकेली घटना नहीं है। आपके शासन संभालने के बाद से बारिश के चलते कई लोगों की जान जा चुकी है, जो बेहद शर्मनाक है।" उन्होंने हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि 9 अगस्त, रक्षाबंधन के दिन, दो अलग-अलग हादसों में कई जानें गईं। पहले हादसे में खेड़ा खुर्द के फुर्नी रोड पर खुले नाले में गिरकर ढाई साल के मासूम की मौत हो गई, वहीं दूसरे हादसे में जेटपुर इलाके में दीवार गिरने से आठ लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो छोटे बच्चे भी शामिल थे। अतिशी ने पत्र में यह भी लिखा कि 30 जुलाई को उत्तरी दिल्ली के सहगल कॉलोनी में दीवार गिरने से एक महिला और उसके बेटे की मौत हो गई, जबकि दो मजदूर घायल हुए। 22 मई को आंधी-पानी के दौरान एक दिव्यांग सहित दो लोगों की मौत और 11 लोग घायल हुए थे।
उन्होंने कहा कि यह तो सिर्फ मीडिया में रिपोर्ट हुए मामले हैं, जबकि इस साल बारिश में और भी कई लोग जान गंवा चुके हैं। अतिशी ने आरोप लगाया, "दिल्ली की जनता हर बारिश में जलभराव, पेड़ों के गिरने और बुनियादी ढांचे की नाकामी से जूझने को मजबूर है। पीडब्ल्यूडी, जिसका दायित्व शहर की सुरक्षा और ढांचे की देखरेख है, अपनी सबसे बुनियादी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा है।"
उन्होंने कहा कि मंत्री परवेश वर्मा को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा देना चाहिए और मुख्यमंत्री को उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना चाहिए। इससे कम कुछ भी जनता के भरोसे को बहाल नहीं कर पाएगा।