क्या दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों को मजबूर किया गया रैली में जाने के लिए? : आम आदमी पार्टी

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों को रैली में भेजा गया।
- आप का आरोप है कि यह एक राजनीतिक चाल है।
- रैली में जनता की भागीदारी कम रही।
- भाजपा की विफलताओं पर जनता का गुस्सा स्पष्ट है।
- संविधानिक मर्यादा का उल्लंघन किया गया है।
नई दिल्ली, १८ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को भाजपा पर फिर से हमला किया। 'आप' नेताओं ने यह आरोप लगाया कि भाजपा ने रैली में भीड़ जुटाने के लिए एमसीडी कर्मचारियों को जबरन बुलाया और उन्हें बसों में भरकर भेजा।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली में रैली असफल रही। जनता भाजपा की विफल सरकार से नाराज है, इसलिए रैली में नहीं आई। यही कारण है कि भाजपा ने सोशल मीडिया पर भीड़ की कोई तस्वीर साझा नहीं की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को स्पष्ट करना चाहिए कि भाषण सुनने के लिए कितने लोग मौजूद थे।
विधायक संजीव झा ने कहा कि रैली में एमसीडी कर्मचारियों को मजबूर किया गया। कर्मचारियों को धमकी दी गई कि अगर रैली में नहीं आए तो सख्त कार्रवाई होगी। निगम पार्षद और जोन चेयरमैन खुद कर्मचारियों को बसों में भरकर भेज रहे थे। कई वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। मेयर आदेश जारी करने से इनकार कर रहे हैं, जबकि आदेश की प्रति उनके पास मौजूद है। यदि मेयर सच बोल रहे हैं, तो प्रश्न है कि यह आदेश किसने जारी किया। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
'आप' नेताओं ने कहा कि दिल्ली में रैली आयोजित की गई थी, लेकिन जनता ने कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई। रैली में दो राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, उपराज्यपाल और सांसद उपस्थित थे। इसके बावजूद जनता ने दूरी बनाए रखी। इसका कारण भाजपा सरकार की विफलताएं और जनता में बढ़ती नाराजगी है। दिल्ली की सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे हैं, लेकिन भाजपा रैलियों और तिरंगा यात्राओं में सफाईकर्मियों को बुला रही है। कर्मचारी सफाई करें या नेताओं की भीड़ बढ़ाने का काम करें? यह संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन है।