'वन नेशन वन इलेक्शन' पर जन जागरूकता कैसे बढ़ाएं? : आशीष सूद

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'वन नेशन वन इलेक्शन' पर जन जागरूकता कैसे बढ़ाएं? : आशीष सूद

सारांश

दिल्ली में आयोजित संगोष्ठी में शिक्षकों और नेताओं ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' के महत्व पर चर्चा की। क्या यह समय की मांग है? जानिए इस विषय पर नेताओं की राय।

Key Takeaways

  • शिक्षकों का समाज में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  • बार-बार चुनाव देश के लिए स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
  • वन नेशन वन इलेक्शन से खर्चों में कमी आएगी।
  • स्थिर सरकार के लिए सभी दलों का समर्थन आवश्यक है।
  • शिक्षा से हर क्रांति की शुरुआत होती है।

नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में 'लोकतान्त्रिक अध्यापक मंच' और 'एक काम देश के नाम' संस्था द्वारा 'वन नेशन वन इलेक्शन' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में शिक्षकों तथा विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने भाग लिया।

इस अवसर पर दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने कहा कि उनका शिक्षकों के साथ पुराना संबंध है। उनके परिवार में कई सदस्य शिक्षक रहे हैं। वह नगर निगम की शिक्षा समिति के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं। शिक्षकों का समाज के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार शिक्षकों की उम्मीदों पर खरा उतरेगी और दिल्ली की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाएगी।

उन्होंने कहा कि हर महत्वपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत शिक्षा से होती है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि शिक्षक स्कूल में किताब पकड़े या बैलेट बॉक्स की पर्ची। बार-बार होने वाले चुनाव हमारे देश के लिए सही नहीं हैं। हमें 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी और सभी को इस दिशा में आगे आना चाहिए।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने संगोष्ठी में कहा कि दिल्ली में जब केजरीवाल जी की सरकार थी, तब उन्होंने आयुष्मान योजना को लागू नहीं होने दिया, जिससे जनता को नुकसान उठाना पड़ा। सरकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्थिर सरकार आवश्यक है। हमें देश के विकास के लिए एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता है, इससे सभी दलों को लाभ होगा।

एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर 'वन नेशन वन इलेक्शन' का आह्वान किया है। यह नया विचार नहीं है, 1952 से 1967 के बीच भारत में एक चुनाव प्रणाली लागू थी। समय के साथ चुनावों की संख्या बढ़ गई, जिससे खर्च में वृद्धि हुई। इस मांग के बढ़ने का कारण खर्चों को कम करना और देश के विकास को गति देना है।

Point of View

'वन नेशन वन इलेक्शन' का विचार न केवल चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाता है, बल्कि यह देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्थिरता और समर्पण के साथ इसे लागू करने की आवश्यकता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है?
यह एक प्रस्ताव है जिसमें देश में सभी चुनावों को एक साथ कराने की योजना है, जिससे खर्च और समय की बचत हो सके।
इसका क्या लाभ होगा?
इससे चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा और विकास की गति में सुधार होगा।