क्या दिल्ली में 'वीविंग इंडिया टुगेदर' राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की संस्कृति और परंपराओं का संगम।
- आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई पहल।
- स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने का महत्व।
- नॉर्थ ईस्ट की संस्कृति को महत्व देना।
- पारंपरिक हस्तशिल्प को नई तकनीक से जोड़ना।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में 6 से 8 अक्टूबर 2025 तक 'वीविंग इंडिया टुगेदर' एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देशभर से अनेक संस्थान और संगठन शामिल हो रहे हैं। इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन 6 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू द्वारा किया गया।
अपने संबोधन में रिजिजू ने कहा कि भारत की पहचान उसकी संस्कृति और परंपराओं में है, और हमें आधुनिकता के साथ अपनी मौलिकता को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर गर्व हुआ कि उत्तर पूर्व के साथ-साथ अन्य राज्यों के लोग भी अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति लेकर आए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि पहले ऐसे कार्यक्रम नॉर्थ ईस्ट को जोड़ने के लिए होते थे, लेकिन अब यह कार्यक्रम नॉर्थ ईस्ट को केंद्र में रखकर पूरे देश को एकजुट कर रहा है। उन्होंने सभी स्टॉल्स का दौरा किया और सराहना की कि किस तरह नए विचारों से सुंदर उत्पाद बनाए गए हैं।
रिजिजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' के संदेश को दोहराते हुए कहा कि हमें स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। हमें गर्व होना चाहिए कि हम असम, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों के बने कपड़े पहनें। यही सच्चा 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' है।
इस कॉन्क्लेव में देशभर के कारीगरों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों ने भाग लिया। यहां जूट, रेशम, एरी और बांस जैसे प्राकृतिक रेशों से बने उत्पादों पर चर्चा की गई।
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक हस्तशिल्प को नई तकनीक से जोड़कर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाना है।
यह सम्मेलन कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साइंस, तुरा, मेघालय द्वारा आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट और मेघालय सरकार के सहयोग से हो रहा है।