क्या दिल्ली पुलिस ने आईएसआईएस मॉड्यूल का पर्दाफाश किया? 2 संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली पुलिस ने आईएसआईएस से जुड़े दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया।
- आतंकियों का लक्ष्य दिल्ली में हमले करना था।
- गिरफ्तारी सादिक नगर और भोपाल से हुई।
- पुलिस अब इन संदिग्धों से पूछताछ कर रही है।
- इससे पहले भी स्पेशल सेल ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था।
नई दिल्ली, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आईएसआईएस से जुड़े दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दोनों आतंकियों का नाम अदनान है। इनमें से एक दिल्ली का निवासी है, जबकि दूसरा मध्य प्रदेश से है।
पुलिस ने बताया कि दोनों संदिग्धों को फिदायीन हमले की ट्रेनिंग दी जा रही थी और उनका मुख्य लक्ष्य दिल्ली था। उन्होंने दिल्ली के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में आईईडी ब्लास्ट जैसी घटनाओं की योजना बनाई थी।
इनकी गिरफ्तारी दिल्ली के सादिक नगर और भोपाल से की गई। इस समय, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इन आतंकियों से गहन पूछताछ कर रही है, ताकि उनके उद्देश्यों और योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके।
इससे पहले, सितंबर में स्पेशल सेल ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था, जिसमें विभिन्न राज्यों से पांच संदिग्ध आतंकियों को पकड़ा गया था। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों की उम्र २० से २६ वर्ष के बीच थी और उन्हें दिल्ली, झारखंड, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान झारखंड के बोकारो निवासी अश्र दानिश (२३), मुंबई के आफताब कुरैशी (२५), महाराष्ट्र के मुंब्रा निवासी सूफियान अबुबकर खान (२०), तेलंगाना के निजामाबाद निवासी मोहम्मद हुजैफ यमन (२०) और मध्य प्रदेश के राजगढ़ निवासी कामरान कुरैशी (२६) के रूप में हुई थी।
पुलिस के अनुसार, इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड अश्र दानिश था, जिसने खुद को 'गजवा लीडर' और 'सीईओ' के रूप में प्रस्तुत किया। वहीं, आफताब कुरैशी का काम आतंकवादी गतिविधियों के लिए लक्ष्य निर्धारित करना था, जबकि हुजैफ यमन हथियार बनाने का कार्य करता था। इन लोगों ने अपने समूह का नाम 'प्रोजेक्ट मुस्तफा' रखा था।
जांच में यह पता चला कि आरोपी सोशल मीडिया के एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का उपयोग करके युवाओं को बरगलाते थे। वे खुद को एक एनजीओ की तरह पेश करते थे और धर्म के नाम पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, यह समूह उन स्थानों की तलाश में था, जहां वे जमीन खरीदकर अपनी गतिविधियों का केंद्र स्थापित कर सकें। वे हथियार बनाने के लिए धन भी इकट्ठा कर रहे थे।