दिल्ली प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने से क्यों किया इंकार?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार किया।
- केंद्र सरकार से दीर्घकालिक योजना की मांग।
- दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 360 रहा।
- पराली जलाने की घटनाएं कम, लेकिन प्रदूषण बढ़ा।
- अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या पर केंद्र सरकार से एक विस्तृत योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सोमवार को हुई सुनवाई में, कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदूषण के समाधान के लिए केंद्र को दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इससे मजदूरों की आजीविका प्रभावित होगी।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन जरूरी है। केवल एक पहलू को ध्यान में रखते हुए आदेश नहीं दिया जा सकता। दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए कठोर निर्देशों की आवश्यकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समस्या अस्थायी समाधान से नहीं सुलझेगी। केंद्र को इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान तैयार करना होगा।
सुनवाई के दौरान पराली जलाने का मुद्दा भी चर्चा में आया। न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कोर्ट में अपनी बात रखी। कोर्ट ने कहा, "जब न्यायमित्र यह कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, तो इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। यदि पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, तो प्रदूषण क्यों बढ़ा?"
कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ-साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा की सरकारों से ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया। इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। सोमवार को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 360 रहा, जबकि छह स्थानों पर यह 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जो कि गंभीर श्रेणी में आता है।