क्या गौवंश को सड़कों से निकालकर सुरक्षित वातावरण में लाना हमारी प्राथमिकता है?

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क्या गौवंश को सड़कों से निकालकर सुरक्षित वातावरण में लाना हमारी प्राथमिकता है?

सारांश

दिल्ली सरकार ने गौवंश के संरक्षण के लिए नई गौशाला की स्थापना के संबंध में एक बैठक आयोजित की। विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि यह पहल न केवल गौ माता की सुरक्षा के लिए है, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगी।

Key Takeaways

  • गौशाला की स्थापना से गौवंश का संरक्षण होगा।
  • सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को सुरक्षित वातावरण में लाया जाएगा।
  • उपयोगी संसाधनों का निर्माण और संचालन चयनित संस्था करेगी।
  • सरकार का निर्णय पशु कल्याण को प्राथमिकता देता है।
  • इस पहल से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

नई दिल्ली, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली सरकार गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी संदर्भ में, दिल्ली सचिवालय में विकास मंत्री कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में घुमनहेड़ा गांव में शुक्रवार को नई गौशाला की स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए अभिरुचि आमंत्रण से संबंधित एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक में विकास आयुक्त शूरवीर सिंह, पशुपालन इकाई के वरिष्ठ अधिकारी, एनजीओ जैसे इस्कॉन, गोपाल गौ सदन और अन्य सामाजिक संस्थाएं शामिल हुईं। इस बैठक का आयोजन विकास विभाग की पशुपालन इकाई द्वारा किया गया।

बैठक के दौरान गौशालाओं के संचालन, रखरखाव और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर कई महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए। इस पर मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि हम इस दिशा में गंभीरता से कार्य करेंगे। सभी सुझावों का स्वागत है, क्योंकि हमारा उद्देश्य गायों को सड़कों से निकालकर एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में लाना है। अगर ये गौशालाएं आत्मनिर्भर बन जाएं तो यह समाज और पर्यावरण दोनों के लिए आदर्श उदाहरण होगा।

वर्ष १९९४ में विकास विभाग की पंचायत इकाई ने पशुपालन इकाई को गौशालाओं के संचालन के लिए भूमि ९९ वर्षों की लीज पर आवंटित की थी। उस समय पांच गौशालाओं की स्थापना की गई थी, जिनमें से वर्तमान में चार सक्रिय हैं। घुमनहेड़ा स्थित आचार्य सुशील मुनि गौसदन का लाइसेंस, अनुबंध शर्तों के उल्लंघन और गौवंश की अत्यधिक मृत्यु के कारण निरस्त कर दिया गया था। अब इस पांचवीं गौशाला को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत पुनः स्थापित किया जाएगा।

नई गौशाला की स्थापना, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी चयनित एनजीओ, ट्रस्ट, फाउंडेशन या कॉर्पोरेट संस्था को दी जाएगी, जिसे एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। भूमि का आवंटन लाइसेंस डीड के आधार पर किया जाएगा और चयनित संस्था गौशाला के निर्माण, संचालन और रखरखाव की सभी जिम्मेदारियां स्वयं के व्यय पर निभाएगी। प्रारंभिक अवधि सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी, जिसे उनके कार्य प्रदर्शन के आधार पर अगले पांच वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा। चयनित संस्था को एक वर्ष के भीतर गौशाला की स्थापना के लिए पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति उपलब्ध करानी होगी।

गौशाला के संचालन में आवारा पशुओं की देखभाल, भोजन, स्वास्थ्य एवं निगरानी की पूरी जिम्मेदारी चयनित संस्था की होगी। इस प्रक्रिया में पशुपालन इकाई, विकास विभाग द्वारा कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी। संपत्ति का स्वामित्व दिल्ली सरकार के पास ही रहेगा, जबकि चयनित संस्था को केवल लाइसेंस डीड के आधार पर संचालन की अनुमति दी जाएगी। सभी कानूनी विवादों का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधीन रहेगा।

इस पहल को लेकर दिल्ली सरकार के विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि गौ माता भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक हैं, इसलिए गौवंश को सड़कों से निकालकर सुरक्षित वातावरण में लाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। यह पहल न केवल दिल्ली की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने में मदद करेगी, बल्कि पशु कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी एक सराहनीय प्रयास साबित होगी।

Point of View

NationPress
24/10/2025

Frequently Asked Questions

गौशाला की स्थापना कब की जाएगी?
गौशाला की स्थापना एक वर्ष के भीतर की जाएगी।
इस योजना में कौन भागीदारी करेगा?
चयनित एनजीओ, ट्रस्ट, फाउंडेशन या कॉर्पोरेट संस्था इस योजना में भागीदारी करेगी।
क्या सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी?
इस प्रक्रिया में सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी।
गौशाला का संचालन कौन करेगा?
गौशाला का संचालन चयनित संस्था द्वारा किया जाएगा।
गौ माता का महत्व क्या है?
गौ माता भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक हैं।