क्या रेपो रेट में कटौती के बाद आरबीआई गवर्नर ने बैंकों से मध्यस्थता लागत कम करने का आग्रह किया?

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क्या रेपो रेट में कटौती के बाद आरबीआई गवर्नर ने बैंकों से मध्यस्थता लागत कम करने का आग्रह किया?

सारांश

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैंकों से कहा है कि उन्हें अपनी मध्यस्थता लागत कम करनी चाहिए और दक्षता बढ़ानी चाहिए। यह सुझाव हाल ही में रेपो रेट में कमी के बाद आया है। जानिए इस महत्वपूर्ण बैठक में और क्या विचार किए गए।

Key Takeaways

  • रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती
  • आरबीआई ने 125 आधार अंकों की कमी की है
  • मध्यस्थता लागत को कम करने का आग्रह
  • डिजिटल धोखाधड़ी की सुरक्षा पर ध्यान
  • सतत विकास और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सरकारी एवं कुछ प्रमुख निजी बैंकों के प्रबंधक निदेशकों और सीईओ से अनुरोध किया है कि वे अपने बैंकिंग तंत्र में मध्यस्थता लागत को कम करें और दक्षता को बढ़ाएं

यह बयान तब आया है जब हाल ही में मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) ने ब्याज दर में 25 आधार अंकों या 0.25 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे रेपो रेट 5.25 प्रतिशत हो गया है, जो पहले 5.50 प्रतिशत था।

आरबीआई ने इस वर्ष फरवरी से अब तक रेपो रेट में 125 आधार अंकों की कमी की है।

आरबीआई का आधिकारिक बयान है कि "गवर्नर ने कहा है कि 125 आधार अंकों की ब्याज दर में कमी और प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग से मध्यस्थता लागत घटेगी और दक्षता बढ़ेगी, जिससे सतत विकास और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।"

बयान में कहा गया कि ये वार्ताएं जनवरी 2025 में होने वाली इसी तरह की बैठकों के बाद विनियमित संस्थाओं के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ आरबीआई की स्थायी सहभागिता का हिस्सा हैं।

इसके अलावा, मल्होत्रा ने बैंकों से शिकायतों को कम करने और आंतरिक प्रणालियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते खतरों पर ध्यान देने और अधिक सुरक्षित, इंटेलिजेंस आधारित उपायों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

आरबीआई गवर्नर ने रीकेवाईसी और अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स के संबंध में बैंकों के प्रयासों की सराहना करते हुए सक्रिय संपर्क और सतत जागरूकता अभियानों को प्रोत्साहित किया।

बयान में कहा गया है कि बैठक में प्रतिभागियों ने नीति, पर्यवेक्षण और परिचालन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया और दृष्टिकोण साझा किए।

आरबीआई के मौद्रिक संचरण आंकड़ों के अनुसार, फरवरी से सितंबर के बीच बैंकों की भारित औसत घरेलू सावधि जमा दरों में 102 आधार अंकों की गिरावट आई है, जबकि नए रुपए ऋण पर ब्याज दर में 73 आधार अंकों की कमी आई है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि आरबीआई का यह कदम बैंकों की दक्षता और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। बैंकों को मध्यस्थता लागत को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए, जिससे अंततः उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

रेपो रेट में कटौती का क्या प्रभाव है?
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर बैंकों की उधारी दरों पर पड़ता है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ते लोन मिलने की संभावना होती है।
आरबीआई गवर्नर का यह बयान क्यों महत्वपूर्ण है?
यह बयान बैंकों की दक्षता और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदमों को इंगित करता है।
बैंकों को मध्यस्थता लागत को कम करने की आवश्यकता क्यों है?
मध्यस्थता लागत कम करने से बैंकों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
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