क्या केजरीवाल फांसी घर के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते थे? : मोहन सिंह बिष्ट

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क्या केजरीवाल फांसी घर के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते थे? : मोहन सिंह बिष्ट

सारांश

दिल्ली विधानसभा में 'फांसी घर' विवाद पर मोहन सिंह बिष्ट ने अरविंद केजरीवाल पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप लगाया है। इस मामले में विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच की जा रही है। क्या यह सच है कि केजरीवाल ने ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया?

Key Takeaways

  • दिल्ली विधानसभा में 'फांसी घर' का विवाद उठना
  • मोहन सिंह बिष्ट का केजरीवाल पर आरोप
  • विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच की प्रक्रिया
  • ऐतिहासिक तथ्यों का गलत प्रस्तुतिकरण
  • सख्त कार्रवाई की मांग का उठना

नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विधानसभा परिसर में विवादित 'फांसी घर' को लेकर दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने पूर्व आम आदमी पार्टी सरकार और उसके नेता अरविंद केजरीवाल पर सस्ती लोकप्रियता अर्जित करने का आरोप लगाया।

शुक्रवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने इस मामले पर स्पष्ट कहा कि विधानसभा की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को गलत तरीके से प्रस्तुत करना अत्यंत दुखद है।

बिष्ट ने कहा कि 2022 में जिस स्थान को अरविंद केजरीवाल ने 'फांसी घर' के रूप में उद्घाटित किया था, वह वास्तव में नेशनल आर्काइव के 1911 के नक्शे के अनुसार एक 'टिफिन रूम' था, जिसका उपयोग भोजन पहुँचाने के लिए किया जाता था।

उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली विधानसभा में ऐसी कोई ऐतिहासिक संरचना, जो फांसी देने के लिए हो, कभी भी अस्तित्व में नहीं थी, और इसे झूठे प्रचार के माध्यम से प्रस्तुत करना गलत है।

यह मुद्दा विशेषाधिकार समिति को सौंपा गया है, जो अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, और पूर्व स्पीकर राम निवास गोयल से पूछताछ करेगी। इसके साथ ही, फांसी घर के शिलालेख को हटाने का निर्णय लिया गया है।

दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 'टिफिन रूम' को 'फांसी घर' के रूप में पेश करने को शहीदों का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की इस क्रिया के पीछे छिपी मंशा थी, और इसे शहीदों को बदनाम करने का प्रयास बताया।

सिरसा ने आरोप लगाया कि इस झूठे दावे के माध्यम से करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ, जिसके लिए केजरीवाल को समन जारी करना उचित था। ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करना निंदनीय है, विशेषकर जब यह शहीदों के सम्मान से जुड़ा हो।

इस मामले में विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच की जा रही है और सख्त कार्रवाई की मांग उठाई गई है। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में फांसी घर के शिलालेख को हटाने का निर्णय लिया गया है। विशेषाधिकार समिति पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व स्पीकर राम निवास गोयल से पूछताछ करेगी।

सिरसा ने उस घटना की भी निंदा की है, जिसमें पीतमपुरा के एक रेस्टोरेंट में भारतीय परिधानों पर रोक लगाई गई। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Point of View

NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'फांसी घर' वास्तव में अस्तित्व में था?
नहीं, 'फांसी घर' के रूप में जो जगह प्रस्तुत की गई थी, वह वास्तव में एक 'टिफिन रूम' था।
मोहन सिंह बिष्ट ने किस पर आरोप लगाया?
उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप लगाया।
विशेषाधिकार समिति का क्या कार्य है?
विशेषाधिकार समिति इस मामले की जांच करेगी और संबंधित नेताओं से पूछताछ करेगी।
इस विवाद में सख्त कार्रवाई की मांग क्यों उठाई गई है?
क्योंकि ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जो कि निंदनीय है।
क्या दिल्ली विधानसभा में फांसी देने का कोई स्थान था?
नहीं, दिल्ली विधानसभा में ऐसी कोई ऐतिहासिक संरचना नहीं थी।