क्या दिल्ली विधानसभा ने नेवा ट्रेनिंग सेंटर स्थापित कर पेपरलेस कार्यवाही की नई मिसाल कायम की?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली विधानसभा ने नेवा ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की है।
- यह कार्यक्रम पूरी तरह पेपरलेस कार्यवाही की दिशा में है।
- विधायकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग सिखाया जाएगा।
- इस पहल का उद्देश्य विधायी प्रक्रिया को आधुनिक बनाना है।
- विधानसभा सोलर ऊर्जा से संचालित होने की दिशा में भी आगे बढ़ रही है।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विधानसभा का इस बार का मानसून सत्र पूरी तरह से पेपरलेस होगा। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा परिसर में नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 21 से 23 जुलाई तक चलेगा, जिसमें सभी विधायकों को नेवा के उपयोग की ट्रेनिंग दी जाएगी।
विजेंद्र गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नेवा के माध्यम से विधानसभा की कार्यवाही को कागज रहित बनाया जाएगा। उन्होंने बताया, "21, 22 और 23 जुलाई को दो बैचों में विधायकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। यह कदम विधायी प्रक्रिया को आधुनिक और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।"
उन्होंने बताया कि नेवा के माध्यम से विधायकों को सवाल-जवाब, बिल पेश करने और चर्चा करने की प्रक्रिया सिखाई जाएगी। संसदीय कार्य मंत्रालय के विशेषज्ञ प्रशिक्षक इस ट्रेनिंग को संचालित करेंगे।
विजेंद्र गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वन नेशन, वन एप्लिकेशन' के सपने का जिक्र करते हुए कहा, "दिल्ली विधानसभा ने 100 दिनों में नेवा को लागू कर एक मिसाल कायम की है। विधानसभा को सोलर ऊर्जा से युक्त करने का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। आने वाले दिनों में यह विधानसभा पेपरलेस और सोलर ऊर्जा से संचालित होगी।"
उन्होंने कहा, "मुझे भी ट्रेनिंग लेनी है। सभी विधायकों को इस नई तकनीक को अपनाने के लिए तैयार होना होगा। इस विधायी प्रक्रिया में तेजी आएगी और हम दिल्ली की जनता के हित के लिए कदम जल्दी से उठा पाएंगे। अब इस दिशा में सभी विधायकों को कमर कस लेने की जरूरत है।"
बता दें कि पेपरलेस विधानसभा का मतलब है कि विधानसभा की कार्यवाही को पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित किया जाता है, जिसमें कागज का उपयोग न्यूनतम या शून्य होता है। नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए विधायी प्रक्रियाएं, जैसे बिल पेश करना, सवाल-जवाब, चर्चा और दस्तावेज साझा करना, इलेक्ट्रॉनिक रूप से होती हैं। इससे समय और संसाधनों की बचत होती है, साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी होता है, साथ ही कार्यवाही अधिक पारदर्शी और तेज होती है। दिल्ली विधानसभा इस दिशा में नेवा के उपयोग से पेपरलेस बन रही है।