क्या राहुल गांधी कांग्रेस के नेता हैं या पाकिस्तान के प्रवक्ता? : अमर शंकर साबले

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के बयानों को अमर शंकर साबले ने नादान हरकत बताया।
- ऑपरेशन सिंदूर की अहमियत को समझना चाहिए।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाना गैर-जिम्मेदाराना है।
- विपक्ष को जिम्मेदारी से सवाल उठाने चाहिए।
- राजनीतिक बयानबाजी में सतर्कता आवश्यक है।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व राज्यसभा सांसद अमर शंकर साबले ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर एक तीखा हमला किया है। साबले ने राहुल गांधी के हालिया बयानों को 'नादान हरकत' करार देते हुए उनसे पूछा है कि क्या वह कांग्रेस के नेता हैं या पाकिस्तान के प्रवक्ता?
साबले ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राहुल गांधी के सवालों को देश की सुरक्षा और भारतीय सेना के खिलाफ बताया।
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने पहले राफेल सौदे का मुद्दा उठाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब वह ऑपरेशन सिंदूर पर वही सवाल उठा रहे हैं, जो हमारा दुश्मन पाकिस्तान उठा रहा है। यह देश के साथ गद्दारी नहीं तो और क्या है? उन्हें जनता को जवाब देना चाहिए कि क्या वह कांग्रेस के नेता हैं या पाकिस्तान के प्रवक्ता।"
उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाया था, लेकिन राहुल गांधी इस ऑपरेशन पर सवाल उठाकर भारतीय सेना और देश की सुरक्षा पर संदेह पैदा कर रहे हैं। राहुल गांधी को विरासत में सियासत मिली है, लेकिन जो वह कर रहे हैं, उससे देश को काफी नुकसान हो रहा है। ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, जरूरत पड़ने पर हम इस अभियान को आगे बढ़ा सकते हैं।
साबले ने राहुल गांधी के बयानों को अपरिपक्व और गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि युद्ध या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसले गुप्त रखे जाते हैं, जिसकी समझ राहुल को नहीं है। राहुल गांधी की हरकतें नादानी भरी हैं। यही वजह है कि वह बार-बार ऐसे बयान देते हैं, जो देश के हितों के खिलाफ हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सवाल उठाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि दुश्मन देशों को बल देने जैसा है।
साबले ने आगे कहा कि राहुल गांधी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। विपक्ष का काम सवाल उठाना है, लेकिन सवाल ऐसे होने चाहिए जो देश को मजबूत करें, न कि उसकी छवि को धूमिल करें। राहुल गांधी को यह समझना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर बयानबाजी से पहले गहन अध्ययन और जिम्मेदारी की जरूरत होती है।