क्या दिल्ली विश्वविद्यालय के डूसू चुनाव के लिए एबीवीपी और एनएसयूआई ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की?

सारांश
Key Takeaways
- डूसू चुनाव में एबीवीपी और एनएसयूआई ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की।
- महिलाओं को छात्र राजनीति में सशक्त बनाने का प्रयास।
- छात्रों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता है।
- चुनाव में बुनियादी ढांचे की कमी के मुद्दे पर ध्यान दिया जाएगा।
- 18 सितंबर को चुनाव होंगे।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (डूसू) के लिए गुरुवार शाम अपने केंद्रीय पैनल का ऐलान किया।
एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए आर्यन मान और उपाध्यक्ष पद के लिए गोविंद तंवर को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ ही, सचिव पद पर कुणाल चौधरी और सह सचिव पद के लिए दीपिका झा को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
वहीं, एनएसयूआई ने इस बार के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए छात्रा जोश्लिन नंदिता चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। एनएसयूआई ने उपाध्यक्ष पद पर राहुल झांसला और सचिव पद के लिए कबीर को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा, लव कुश बधाना एनएसयूआई की ओर से सह सचिव पद के लिए उम्मीदवार होंगे।
छात्र संगठन का कहना है कि छात्र राजनीति में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में यह एक साहसी और प्रगतिशील कदम है।
डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद के एबीवीपी प्रत्याशी आर्यन मान का कहना है कि विश्वविद्यालय में उनके प्रवेश के पहले दिन से ही छात्रों के मुद्दों को लेकर उनकी समझ बननी शुरू हुई। एबीवीपी से जुड़ने के बाद, उन्होंने फीस वृद्धि के विरोध में आंदोलन और बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए लगातार प्रयास किए हैं।
गोविंद तंवर ने कहा, "मैं विद्यार्थी परिषद का धन्यवाद देना चाहूंगा कि मुझ जैसे सामान्य कार्यकर्ता को छात्रसंघ चुनाव लड़ने का अवसर दिया। विश्वविद्यालय परिसर में होने वाली समस्याओं के खिलाफ सबसे आगे खड़ा रहने वाला संगठन विद्यार्थी परिषद है। नए हॉस्टल निर्माण और आखिरी वर्ष के छात्रों के लिए सप्लीमेंट्री परीक्षा शुरू करने के लिए मैं प्रयासरत रहूंगा।"
डूसू चुनाव में सचिव पद के कुणाल चौधरी ने कहा कि कई चुनौतियां हैं जैसे कि पाठ्यक्रम एक-शुल्क, खेल उपकरणों की कमी, और कैंटीन में शुद्ध और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना। उन्होंने सुझाव दिया कि बाहर से आने वाले छात्रों के लिए एक समिति बनाई जाए ताकि उन्हें रहने में कोई परेशानी का सामना न करना पड़े।
एनएसयूआई का कहना है कि उनका चुनावी अभियान दिल्ली विश्वविद्यालय में असली परिवर्तन लाने के लिए है। यह अभियान उन जरूरी छात्र समस्याओं को उजागर करता है, जिन्हें वर्तमान शासन मंडल जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 18 सितंबर को होगा।