क्या उत्तराखंड के इस गांव में भगवान राम की पूजा होती है, पर हनुमान से नाराज हैं लोग?
सारांश
Key Takeaways
- द्रोणागिरि गांव में हनुमान की पूजा वर्जित है।
- भगवान राम की पूजा होती है।
- यहां की मान्यता पौराणिक कथा पर आधारित है।
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब भक्ति और भक्त का जिक्र होता है, तो सबसे पहले हनुमान का नाम लिया जाता है। हनुमान ने भगवान राम की भक्ति को अपने दिल और अपनी सांसों के कण-कण से किया।
क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां भगवान राम की पूजा होती है, लेकिन हनुमान की नहीं?
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित द्रोणागिरि गांव में, लोग भगवान राम की पूजा करते हैं, लेकिन हनुमान का नाम नहीं लेते। यहां एक मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा है, लेकिन हनुमान की नहीं। पूजा-पाठ में राम का नाम लिया जाता है, लेकिन हनुमान का नहीं। इसके पीछे एक पुरानी कथा है, जिसे गांव के लोग मानते हैं।
यह कहानी रामायण से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा, तब भगवान राम ने हनुमान को संजीवनी बूटी लाने का आदेश दिया था। हनुमान ने बिना अनुमति के द्रोणागिरि गांव से पूरी पहाड़ी उठाकर ले जाने का काम किया, जिससे लोक देवता लाटू नाराज हो गए।
यह भी कहा जाता है कि हनुमान के पर्वत ले जाने के कारण देवता की तपस्या भंग हो गई और वहां से आज भी लाल रंग का पानी निकलता है, जिसे स्थानीय लोग देवता का रक्त मानते हैं। इस कथा के बाद से गांव में हनुमान की पूजा वर्जित मानी गई।
द्रोणागिरि गांव में न तो हनुमान के नाम की पताका है और न ही उनकी पूजा होती है। पूरा गांव आज भी हनुमान से नाराज है और कोई भी उनके नाम का उच्चारण नहीं करता।