क्या गाजीपुर पुलिस ने फर्जी हस्ताक्षर और स्टाम्प बनाने वाले दो शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- गाजीपुर पुलिस ने फर्जी कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण किया है।
- जाली स्टाम्प और संबंधित उपकरणों की बड़ी मात्रा बरामद की गई।
- अभियुक्तों का आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है।
- समाज में इस तरह के अपराधों की रोकथाम आवश्यक है।
- पुलिस की तत्परता सराहनीय है।
गाजीपुर, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में पुलिस ने दो शातिर अपराधियों को पकड़ा है, जो फर्जी हस्ताक्षर और स्टाम्प पेपर बनाने का कार्य कर रहे थे।
पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि गाजीपुर के केशव काम्प्लेक्स में एक दुकान है, जहां फर्जी हस्ताक्षर करके स्टाम्प पेपर बनाए जाते हैं। सूचना मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और दुकान पर छापा मारा, जहाँ से बड़ी मात्रा में जाली स्टाम्प और संबंधित उपकरण बरामद किए गए।
यह कार्रवाई थाना गाजीपुर और पूर्वी जोन की क्राइम सर्विलांस टीम द्वारा संयुक्त रूप से की गई।
पुलिस ने दुकान की तलाशी के दौरान मैनुअल स्टाम्प (10 से 500 रुपए के विभिन्न मूल्य), ई-स्टाम्प (10 से 100 रुपए के विभिन्न मूल्य), नोटरी रबड़ स्टाम्प, मोहरें, लैपटॉप, प्रिंटर, मॉनीटर, सीपीयू, की-बोर्ड और माउस जैसे उपकरण बरामद किए।
पुलिस ने मौके पर दुकान के मालिक सीतानाथ रथ और दीपक सिंह को गिरफ्तार किया। पूछताछ में दोनों ने खुलासा किया कि वे फर्जी हस्ताक्षर और रबर स्टाम्प का उपयोग करके स्टाम्प पेपर बेचते थे।
गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम सीतानाथ रथ (48 वर्ष) और दीपक सिंह (52 वर्ष) हैं। सीतानाथ का आपराधिक इतिहास भी है, जिसमें पहले कई मामले दर्ज हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि वे दोनों मिलकर इस फर्जी कारोबार को संचालित कर रहे थे।
पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को धारा 319(2), 318(4), 338 और 336(3) के तहत गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस की टीम अब अन्य थानों और जिलों से इन अभियुक्तों का आपराधिक इतिहास एकत्रित करने में जुटी है। इसके साथ ही इनके सहयोगियों की भी तलाश की जा रही है, जो इस तरह के फर्जी हस्ताक्षर और स्टाम्प बनाने का कार्य कर रहे हैं।
बरामद सामान में मैनुअल और ई-स्टाम्प, नोटरी हस्ताक्षरित पन्ने और रबड़ स्टाम्प शामिल हैं, जिनका उपयोग फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए किया जाता था।