क्या धनतेरस पर मंदसौर के कुबेर मंदिर में भक्तों की लंबी कतार देखी गई?

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क्या धनतेरस पर मंदसौर के कुबेर मंदिर में भक्तों की लंबी कतार देखी गई?

सारांश

धनतेरस के मौके पर मंदसौर के कुबेर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी। विशेष पूजा के आयोजन ने भक्तों को आकर्षित किया। जानें, इस प्राचीन मंदिर का महत्व और मान्यता।

Key Takeaways

  • मंदिर का पुराना इतिहास
  • धनतेरस के अवसर पर विशेष पूजा
  • भक्तों की लंबी कतारें
  • भगवान कुबेर और शिव की मान्यता
  • गर्भगृह पर ताले का न होना

मंदसौर, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। धनतेरस के अवसर पर मंदसौर के खिलचीपुरा में स्थित धोलगिरी के मंदिर में भगवान शिव और कुबेर के प्रति भक्तों की विशाल भीड़ देखने को मिली। इस खास दिन पर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया।

भक्तों ने भगवान शिव पर जल चढ़ाने और कुबेर के दर्शन के लिए लंबी लाइन लगाई। उन्होंने अपनी मनोकामनाओं के लिए पूजा-पाठ और मंत्रोच्चारण भी किया।

मंदिर में उपस्थित पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में धनतेरस त्यौहार और इस मंदिर की मान्यताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह मंदिर बहुत पुराना है और वर्षों से भक्त यहां भगवान शिव और कुबेर के दर्शन करने आते हैं। इस अवसर पर उन्होंने देशहित और राष्ट्र कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना की।

ज्योतिषी राकेश भट्ट ने बताया कि धनतेरस के इस खास अवसर पर मंदिर में विशेष आयोजन किया गया है। इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ कुबेर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तों ने पूजा में भाग लिया और सुख-संपत्ति की कामना की।

जानकारी के अनुसार, खिलचीपुरा में धोलगिरी के मंदिर का इतिहास प्राचीन है। कहा जाता है कि यह केदारनाथ के बाद भारत का दूसरा मंदिर है, जहां शिव भगवान कुबेर के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर में भगवान शिव अकेले नहीं, बल्कि पूरे शिव परिवार के साथ हैं। इस मंदिर में कहा जाता है कि शिव परिवार के साथ भगवान कुबेर गुप्त काल से विराजमान हैं और भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। इस मंदिर की खास बात है कि यहां के गर्भगृह पर कभी ताला नहीं लगाया जाता है, जिससे यह हमेशा भक्तों के लिए खुला रहता है।

इसी कारण से दूर-दूर से भक्त भगवान कुबेर और भगवान शिव की आराधना करने आते हैं। मंदिर की ऐतिहासिक कहानियों में कहा जाता है कि यह गुप्तकालीन है और यहां उड़ कर आया था। इसका कोई नींव नहीं है। मराठा काल में इसका जीर्णोद्धार किया गया था, और तब से यहां प्रतिवर्ष धनतेरस पर भगवान कुबेर की पूजा होती है। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर के दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं।

Point of View

बल्कि यह समाज में एकता और विश्वास का प्रतीक भी है। मंदिर की प्राचीनता और मान्यता इसे एक विशेष स्थान देती है।
NationPress
18/10/2025

Frequently Asked Questions

धनतेरस पर कुबेर मंदिर में क्या विशेष आयोजन होता है?
धनतेरस पर कुबेर मंदिर में विशेष पूजा और अर्चना का आयोजन होता है, जहां भक्त कुबेर भगवान से धन और समृद्धि की कामना करते हैं।
कुबेर मंदिर का इतिहास क्या है?
कुबेर मंदिर का इतिहास प्राचीन है और इसे गुप्तकालीन माना जाता है। यह केदारनाथ के बाद दूसरा ऐसा मंदिर है जहां शिव भगवान कुबेर के साथ विराजमान हैं।
क्यों भक्त दूर-दूर से कुबेर मंदिर आते हैं?
भक्त यहां की मान्यता और धार्मिक महत्व के कारण दूर-दूर से आते हैं, क्योंकि यहां भगवान कुबेर भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं।
क्या इस मंदिर में ताला लगाया जाता है?
नहीं, इस मंदिर के गर्भगृह पर कभी ताला नहीं लगाया जाता है, जिससे यह हमेशा भक्तों के लिए खुला रहता है।
धनतेरस पर भक्तों की कतारें क्यों लगती हैं?
धनतेरस पर भक्तों की कतारें इसीलिए लगती हैं क्योंकि वे भगवान कुबेर के दर्शन और प्रार्थना करने के लिए आते हैं।