क्या धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी? - शशांक मणि त्रिपाठी

सारांश
Key Takeaways
- धर्मांतरण पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता।
- राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता।
- संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देना अनिवार्य।
- सामाजिक सौहार्द को बनाए रखना महत्वपूर्ण।
- पाकिस्तान के साथ संबंधों पर सख्त रुख।
देवरिया, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के देवरिया से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में धर्मांतरण के मामले में एक महत्वपूर्ण ब्यान जारी किया है।
उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बताते हुए कहा, "यह देश हमारा है, और हम सभी यहां साथ रहते हैं। धर्म के आधार पर बंटवारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
शशांक मणि ने जनता से अपील की कि अगर उनके क्षेत्र में कहीं रोहिंग्या मुसलमान दिखाई दें, तो इसकी सूचना तुरंत दी जाए। उन्होंने कहा, "हमें अपने क्षेत्र की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखना है। अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो लोग हमें या प्रशासन को सूचित करें।"
पाकिस्तान के साथ संबंधों पर चर्चा करते हुए सांसद ने नरम रुख अपनाया। उन्होंने कहा, "हमारी लड़ाई पाकिस्तान की जनता से नहीं, बल्कि वहां की सरकार से है। हमें पाकिस्तानी जनता से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनकी सरकार के साथ हमारे संबंध तनावपूर्ण हैं। भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगा।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा, "राहुल गांधी की तारीफ तो पूरा पाकिस्तान करता है। वे विदेश जाकर भारत की बुराई करते हैं, जो देश के हित में नहीं है।"
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "पिछले चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं, लेकिन अगली बार जनता उन्हें इससे भी कम सीट देगी।"
वहीं, योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "पीएम मोदी के जन्मदिन पर मैं अपनी पार्टी, सरकार और देश के लोगों की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। युगों-युगों में एक ही बार होता है जब कोई ऐसा नेता आता है जो निचले पायदान पर रहने वाले लोगों के लिए सोचता है। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, जिससे हम सबका सम्मान बढ़ा है। उनकी कल्याणकारी योजनाएं समाज की आधी आबादी, जो दबी-कुचली महिलाएं हैं, को सशक्त बना रही हैं।