क्या अहमदाबाद में डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगने वाले साइबर गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार हुए?

सारांश
Key Takeaways
- साइबर ठगी के मामलों में जागरूकता जरूरी है।
- डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगी के खतरे को समझें।
- संदिग्ध कॉल्स की पहचान करें और पुलिस को सूचित करें।
- पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
- साइबर सुरक्षा को लेकर सजग रहें।
अहमदाबाद, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात की अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा ने डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर नागरिकों को ठगने वाले एक अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड गिरोह के दो मुख्य सदस्यों को डिजिटल गिरफ्तारी के माध्यम से पकड़ा है। यह कार्रवाई पुलिस आयुक्त जी.एस. मलिक के आदेश पर की गई।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) और पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध शाखा) की निगरानी में सहायक पुलिस आयुक्त की टीम ने प्राप्त जानकारी के आधार पर यह सफलता प्राप्त की।
गिरफ्तार आरोपियों में लवकेश कुमार (उम्र 49 वर्ष, निवासी न्यू मोती नगर, नई दिल्ली) और अनुराग गुप्ता (उम्र 44 वर्ष, निवासी जीएमएस रोड, देहरादून, उत्तराखंड) शामिल हैं। दोनों पहले भी इसी प्रकार के साइबर अपराधों में गिरफ्तार हो चुके थे और जमानत पर थे।
ये गिरोह के सदस्य वॉइस ओवर आईपी (वीओआईपी) तकनीक का उपयोग कर भारत के नागरिकों को फोन कर पुलिस अधिकारी बनकर धमकाते थे। इनका कहना होता था, "आपका बैंक खाता मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है, जिसके लिए आपको कमीशन मिला था। सुप्रीम कोर्ट के वारंट के तहत आप डिजिटल गिरफ्तारी में हैं।" डराने के लिए वे व्हाट्सएप पर फर्जी समन, वीडियो कॉल पर निगरानी और सरकारी वकील बनकर बात करते। पीड़ितों से सारा पैसा फेक अकाउंट में ट्रांसफर करवाकर गायब हो जाते।
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के अनुसार, 4 जून 2025 से 27 जून तक एक शिकायतकर्ता को अज्ञात नंबर से फोन आया। ठगों ने कहा कि वह हिंदू और सरकार विरोधी संदेश भेज रहा है। फिर मुंबई के सहार पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाने के लिए कहा, जहां फर्जी फैक्स नंबर पर दस्तावेज भेजने के लिए मजबूर किया।
एक ठग ने बताया कि शिकायतकर्ता का खाता विवेकदास (जेल में बंद मनी लॉन्ड्रिंग आरोपी) के इस्तेमाल में था। व्हाट्सएप पर फर्जी समन भेजा गया, और एक सरकारी वकील से बात कराई गई। 24 घंटे की वीडियो निगरानी के बाद, शिकायतकर्ता से सारे पैसे ट्रांसफर करवाए गए। कुल 86.22 लाख रुपए आरटीजीएस से विभिन्न खातों में स्थानांतरित कर दिए गए।
अन्य मामलों में भी इसी गिरोह ने 200 से अधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं। दोनों आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 61(2), 204, 308(2), 316(2), 318(4), 336(3), 338, 340(2) और आईटी एक्ट की धारा 66(सी), 66(डी) के तहत मुकदमा दर्ज है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि ऐसी कॉल आने पर तुरंत 1930 पर रिपोर्ट करें।