क्या कतरनी चावल और तसर सिल्क को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठा रहे हैं मिथुन यादव?
सारांश
Key Takeaways
- कतरनी चावल की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं।
- तसर सिल्क का महत्व समझते हैं।
- किसानों को जागरूक करना है।
- स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- बिहार की कृषि पहचान को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं।
भागलपुर, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कतरनी चावल और तसर सिल्क के विकास के लिए एलजेपी विधायक ने बिहार सरकार के समक्ष मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि कतरनी चावल एक प्राकृतिक और अनोखी उपज है, लेकिन मुनाफे की चाह में इसकी उत्पादन में कमी आई है।
एलजेपी विधायक मिथुन यादव ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि जगदीशपुर में उगाया जाने वाला कतरनी चावल अत्यधिक सुगंधित होता है। इसे ईश्वर द्वारा दी गई एक अनमोल चीज माना जाता है।
उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में इसकी पैदावार घट गई है। हम किसानों को जागरूक करने का प्रयास करेंगे, कृषि विद्यालय, कृषि विभाग, और सरकार के माध्यम से इसे बढ़ावा देने का काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि हम कतरनी चावल की पैदावार को बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे, ताकि इसकी खुशबू अन्य राज्यों तक भी पहुँच सके।
उन्होंने यह भी कहा कि लोग इस फसल पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं और इसकी पैदावार में गिरावट आई है। किसान अन्य फसलों की खेती करके मुनाफे के पीछे भाग रहे हैं। हम इसे बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों को इसके जरिए लाभ कमाने के लिए प्रेरित करेंगे।
तसर सिल्क के बारे में उन्होंने कहा कि उनका जिला सिल्क नगरी के रूप में जाना जाता है। पूर्व विधायक की योजनाओं पर बात नहीं करेंगे, लेकिन इन मुद्दों पर बारीकी से कार्य किया जाएगा। सिल्क हमारी पहचान है और हम इसे बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे।
एलजेपी विधायक मिथुन यादव ने कहा कि हम इस प्रकार कार्य करना चाहते हैं कि सिल्क नगरी को आने वाली पीढ़ियाँ गर्व के साथ देखें और इसकी एक विशिष्ट पहचान बने। हम इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने का कार्य करेंगे।
ज्ञात हो कि कतरनी चावल बिहार में उगाया जाने वाला एक अनोखा, सुगंधित और छोटे दाने वाला चावल है। भागलपुर और बांका जिले में स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले कतरनी चावल की मांग बिहार के साथ-साथ पूरे देश में है।
यह चावल अपनी प्राकृतिक खुशबू के कारण लोगों में बहुत लोकप्रिय है।