क्या धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया?

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क्या धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया?

सारांश

धर्मेंद्र, जो हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता थे, ने अपने करियर में राजनीति में भी कदम रखा। लेकिन उन्होंने राजनीति को अलविदा क्यों कहा? जानिए उनकी ज़िंदगी के कुछ अनकहे पहलू और उनके अभिनय के सफर के बारे में।

Key Takeaways

  • धर्मेंद्र ने सिनेमा और राजनीति दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्हें पद्म भूषण जैसे सम्मान मिले हैं।
  • उनकी पत्नी हेमा मालिनी राजनीति में सफल हैं।
  • धर्मेंद्र का करियर लगभग 60 वर्षों का रहा।
  • राजनीति में उनकी यात्रा सफल नहीं रही।

नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। 89 वर्ष की आयु में सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। धर्मेंद्र लंबे समय से बीमार चल रहे थे, उन्हें सांस लेने में कठिनाई थी और उनका स्वास्थ्य काफी समय से बिगड़ता जा रहा था। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर फैल गई है। बॉलीवुड के गलियारों में उन्हें श्रद्धांजली देने का सिलसिला जारी है। धर्मेंद्र ने न केवल सिनेमा में, बल्कि राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। हालांकि, बाद में उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली।

अभिनेता ने साल 2004 में भाजपा के टिकट पर राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रामेश्वर लाल डूडी को मात दी थी। उस समय पूरा देओल परिवार उनके समर्थन में चुनावी मैदान में उतरा था। लेकिन यह राजनीतिक सफर ज्यादा लंबा नहीं चला। कहा जाता है कि धर्मेंद्र को राजनीति का माहौल ज्यादा पसंद नहीं आया। वे भाजपा के सांसद बने, जबकि केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके चलते उनके लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहीं।

कहा यह भी जाता है कि अभिनेता अक्सर मुंबई में रहते थे, जिससे बीकानेर की जनता नाराज होने लगी। हालांकि, धर्मेंद्र ने दावा किया था कि उन्होंने अपने क्षेत्र के लिए कई काम कराए, लेकिन उनका श्रेय किसी और को मिलता रहा। पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया। कई इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि राजनीति उनके लिए सही जगह नहीं थी और वे फिल्मों के जरिए ही लोगों के दिलों में रहना चाहते थे।

धर्मेंद्र के अलावा, उनके बेटे सनी देओल और पत्नी हेमा मालिनी ने भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई है। सनी देओल ने भाजपा के टिकट पर गुरदासपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, अब उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली है। वहीं, धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी राजनीति में सफल साबित हुईं। वे साल 2003 में भाजपा में शामिल हुईं और 2004–2009 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें साल 2014 में मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा। इस चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद वे 2019 में दोबारा और 2024 में तीसरी बार भी मथुरा से सांसद बनीं।

धर्मेंद्र का करियर हिंदी सिनेमा में लगभग छह दशकों का रहा है। उन्हें बॉलीवुड का 'ही-मैन' कहा जाता था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से की थी। इसके बाद उन्होंने 'शोला और शबनम', 'अनपढ़', 'बंदिनी', 'पूजा के फूल', 'हकीकत', 'फूल और पत्थर', 'अनुपमा', 'खामोशी', 'प्यार ही प्यार', 'तुम हसीन मैं जवां', 'सीता और गीता', 'यादों की बारात' और 'शोले' जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया।

धर्मेंद्र ने दमदार अभिनय के दम पर दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। उन्होंने अपने करियर में कई पुरस्कार भी जीते। साल 2012 में उन्हें भारत सरकार के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने कई फिल्मफेयर पुरस्कार भी अपने नाम किए।

Point of View

लेकिन उनका अनुभव यह बताता है कि हर व्यक्ति का रास्ता अलग होता है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सितारे भी अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करते हैं।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

धर्मेंद्र ने किस साल राजनीति में कदम रखा?
धर्मेंद्र ने साल 2004 में भाजपा के टिकट पर राजनीति में कदम रखा।
धर्मेंद्र की पत्नी कौन हैं?
धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी हैं, जो राजनीति में भी सक्रिय हैं।
धर्मेंद्र को कौन सा सर्वोच्च सम्मान मिला?
धर्मेंद्र को साल 2012 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
धर्मेंद्र ने कितने सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया?
धर्मेंद्र का करियर हिंदी सिनेमा में लगभग छह दशकों का रहा है।
क्या धर्मेंद्र ने राजनीति में सफलता पाई?
धर्मेंद्र ने राजनीति में चुनाव जीते, लेकिन उन्होंने बाद में राजनीति को अलविदा कह दिया।
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