क्या राहुल गांधी की टिप्पणियों पर धर्मेंद्र प्रधान का यह जवाब उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को भ्रामक बताया।
- कांग्रेस पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के सहारे चुनाव जीतने का आरोप।
- राहुल गांधी को उनकी राजनीतिक विरासत की याद दिलाई गई।
- राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप सामान्य हैं।
- संविधानिक संस्थाओं पर बेबुनियाद आरोप लगाना हताशा का संकेत है।
भुवनेश्वर, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि कांग्रेस बांग्लादेशी घुसपैठियों की आड़ में चुनाव जीतने का रास्ता ढूंढ रही है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कई राज्यों में लगातार हार के बाद अब राहुल गांधी को बिहार में एक और हार का अहसास हो रहा है, जिसे वे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने एक जनसभा में यह दावा किया था कि "महाराष्ट्र चुनाव में हेराफेरी की गई और बिहार में भी ऐसी ही अनियमितताओं की कोशिश की जा रही है।"
धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को राहुल के बयानों को “गैर-जिम्मेदाराना और भ्रामक” बताते हुए जवाब दिया।
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी निराधार आरोप लगा रहे हैं, क्योंकि लोगों ने उन्हें और उनकी पार्टी को हर राज्य में बार-बार नकार दिया है, चाहे वह हरियाणा हो, महाराष्ट्र हो या दिल्ली।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "चुनावी हार को विनम्रता से स्वीकार करने के बजाय कांग्रेस लोगों में भ्रम पैदा कर रही है और चुनाव आयोग जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।"
धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि यह कांग्रेस पार्टी ही थी, जिसने कभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को दबाने की कोशिश की थी।
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी को याद रखना चाहिए कि कैसे उनकी दादी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार के कारण न्यायपालिका ने अयोग्य घोषित कर दिया था। उनके परिवार की राजनीतिक विरासत संविधान की भावना के खिलाफ है।"
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणी उनकी हार के डर को छिपाने की एक कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "जब निश्चित हार का सामना करना पड़ रहा हो, तो संवैधानिक संस्थाओं पर बेबुनियाद आरोप लगाना हताशा और राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाता है।"