क्या 'ओम' दिल और दिमाग को तंदुरुस्त रखता है? जानें इसके अनेक फायदे

सारांश
Key Takeaways
- ‘ओम’ का उच्चारण मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- यह तनाव को कम करने में सहायक है।
- ‘ओम’ का जाप दिल और फेफड़ों के लिए फायदेमंद है।
- यह ध्यान में एकाग्रता बढ़ाता है।
- ‘ओम’ का वाइब्रेशन तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है।
नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू धर्म में ‘ओम’ का जाप आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए भी अद्भुत लाभकारी है। ‘ओम’ का उच्चारण न केवल तनाव को समाप्त करता है, बल्कि दिल, फेफड़ों और दिमाग को भी स्वस्थ बनाए रखता है। इस पर आधारित वैज्ञानिक अध्ययन और विशेषज्ञों की राय भी इसकी पुष्टि करती हैं।
ओम को जागृति की ध्वनि या 'प्रथम ध्वनि' माना जाता है। यह मान्यता है कि ब्रह्मांड के निर्माण से पहले ओम की गूंज मौजूद थी, यही कारण है कि इसे 'ब्रह्मांड की आवाज' भी कहा जाता है। 'ओंकार' या 'प्रणव' में ढाई अक्षर होते हैं, जो पूरे ब्रह्मांड का सार प्रस्तुत करते हैं। हिंदू धर्म के साथ ही कई अन्य धर्मों और पंथों में भी ओम का अभ्यास विभिन्न रूपों में किया जाता है।
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ‘ओम’ का जाप ध्यान का एक प्रभावी तरीका है, जो शरीर के स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (जो दिल की धड़कन और सांस को नियंत्रित करता है) पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस शोध में 19 योग करने वाले (9 महिलाएं, 10 पुरुष, औसत उम्र 25 वर्ष) और 17 योग न करने वाले (8 महिलाएं, 9 पुरुष, औसत उम्र 24 वर्ष) प्रतिभागियों को शामिल किया गया। दोनों समूहों से 5 मिनट तक ‘ओम’ का जाप करवाया गया और उनकी हृदय गति परिवर्तनशीलता को मापा गया।
इससे यह स्पष्ट हुआ कि शरीर कितनी हद तक तनावमुक्त और संतुलित है। अध्ययन में यह भी समझने की कोशिश की गई कि ‘ओम’ का जाप योग करने और न करने वाले लोगों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है।
अध्ययन में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। ओम को 'जागृति की ध्वनि' कहा जाता है। इसका कंपन तंत्रिका तंत्र, चक्रों और शरीर के न्यूरॉन्स को सक्रिय करता है, जिससे शांति, स्थिरता और एकाग्रता में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य को लेकर जागरूक अभिनेत्री भाग्यश्री ने भी इसके फायदों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि सुबह लंबे समय तक ओम का जाप करने से दिल और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। धीरे-धीरे सांस लेकर ओम बोलने और सांस छोड़ने की यह प्रक्रिया तनाव कम करती है और वेगस नर्व को मजबूत बनाती है, जो दिल, फेफड़ों और नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करती है।
ओम का वाइब्रेशन तंत्रिका तंत्र, चक्रों और शरीर के न्यूरॉन को खोलने का सही तरीका है। ब्रह्मांड में भेजे गए इस शब्द के कंपन से स्थिरता, शांति और फोकस प्राप्त होता है। चाहे शरीर की गतिविधियाँ हों या ध्यान, सभी कुछ एक ओम के उच्चारण से संभव है। इसका सीधा सकारात्मक प्रभाव आपके दिल और फेफड़ों पर पड़ता है।
वेगस नर्व आपके नर्वस सिस्टम तक संकेत पहुंचाती है। इसका अर्थ यह है कि जब हम ओम का उच्चारण करते हैं, तो पूरा शरीर जागृत हो जाता है।