क्या दिल्ली को क्लाउड सीडिंग की अनुमति मिली है? प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृत्रिम वर्षा का ट्रायल

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क्या दिल्ली को क्लाउड सीडिंग की अनुमति मिली है? प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृत्रिम वर्षा का ट्रायल

सारांश

दिल्ली में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने क्लाउड सीडिंग की अनुमति दी है। यह कृत्रिम वर्षा का एक ट्रायल है, जो प्रदूषण के संकट को संभालने में मदद करेगा। जानें इस ऐतिहासिक कदम के बारे में।

Key Takeaways

  • क्लाउड सीडिंग के लिए अनुमति मिली है।
  • दिल्ली में प्रदूषण संकट का समाधान।
  • ट्रायल १ अक्टूबर २०२५ से शुरू होगा।
  • आईआईटी कानपुर इस तकनीक पर शोध कर रहा है।
  • क्लाउड सीडिंग के १६ शर्तें निर्धारित की गई हैं।

नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की सर्दियों में वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) की अनुमति दे दी है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग को १ अक्टूबर २०२५ से ३० नवंबर २०२५ तक क्लाउड सीडिंग अभियान चलाने की मंजूरी प्रदान की है। यह अनुमति वायुयान नियम, १९३७ के नियम २६(२) के तहत दी गई है, जो दिल्ली के प्रदूषण संकट से निपटने में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

डीजीसीए की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि आईआईटी कानपुर का पंजीकृत विमान वीटी-आईआईटी (सेसना २०६-एच) का उपयोग किया जाएगा। ट्रायल उत्तर दिल्ली क्षेत्र में किया जाएगा, जहां प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहता है। विमान हिंडन एयरबेस (गाजियाबाद) से उड़ान भरेगा, और सेना के सहयोग से संचालन सुनिश्चित होगा।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जी. एम. कामथ को संबोधित पत्र में १६ सख्त शर्तें लागू की गई हैं, जिनमें पायलटों की योग्यता, पूर्व अनुभव, वीएफआर (विजुअल फ्लाइट रूल्स) मोड में उड़ान, एटीसी से पूर्व अनुमति, बीमा, और कोई विदेशी चालक दल न शामिल करना शामिल है। साथ ही, हवाई फोटोग्राफी पर प्रतिबंध, प्रतिबंधित क्षेत्रों से परहेज, और स्थानीय प्राधिकरणों से एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य है। पत्र में कहा गया है कि किसी भी उल्लंघन पर अनुमति तत्काल रद्द की जा सकती है।

क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है जिसमें विमान से बादलों में सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे रसायनों को छिड़का जाता है, जो पानी की बूंदों के निर्माण को प्रेरित कर कृत्रिम वर्षा पैदा करती है। दिल्ली में सर्दियों के दौरान पराली जलाने, वाहनों के धुएं और निर्माण कार्यों से एक्यूआई ५०० तक पहुंच जाता है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। आईआईटी कानपुर ने २०१९ से इस पर शोध किया है और जुलाई २०२५ में चार सफल ट्रायल कर चुका है।

यह योजना दिल्ली कैबिनेट द्वारा ७ मई २०२५ को मंजूर की गई थी, और १३ विभागों से एनओसी प्राप्त हो चुके हैं।

—राष्ट्र प्रेस

एससीएच

Point of View

यह कहना उचित होगा कि दिल्ली का प्रदूषण संकट एक गंभीर समस्या है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। क्लाउड सीडिंग की अनुमति एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू करने और उसके परिणामों की निगरानी करने की आवश्यकता है।
NationPress
24/09/2025

Frequently Asked Questions

क्लाउड सीडिंग क्या है?
क्लाउड सीडिंग एक तकनीक है जिसमें बादलों में रसायनों का छिड़काव किया जाता है ताकि वर्षा को बढ़ावा मिल सके।
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग कब शुरू होगी?
क्लाउड सीडिंग का ट्रायल १ अक्टूबर २०२५ से शुरू होगा।
इस तकनीक के फायदे क्या हैं?
यह तकनीक प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकती है और वायु गुणवत्ता को सुधार सकती है।