क्या दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 400 के पार चला गया है?

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क्या दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 400 के पार चला गया है?

सारांश

दिल्ली एनसीआर में दीपावली के दौरान प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए पटाखों का इस्तेमाल करने से एक्यूआई 400 के पार चला गया है। जानिए इसके पीछे के कारण और क्या उपाय किए जा रहे हैं।

Key Takeaways

  • दिल्ली में AQI 400 के पार गया है।
  • दीपावली पर पटाखों का अत्यधिक इस्तेमाल।
  • पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी।
  • बच्चों पर प्रदूषण का गहरा प्रभाव।
  • सरकार को नियमित रूप से काम करने की आवश्यकता।

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। त्योहार के समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन देखने को मिला। कोर्ट ने केवल दो दिन के लिए कुछ घंटों के लिए आतिशबाजी की अनुमति दी थी, लेकिन शाम होते ही पटाखों का शोर शुरू हो गया। ऐसे में दीपावली की रात और अगले दिन दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़कर एनसीआर में एक्यूआई 400 के ऊपर चला गया।

पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेंदु झा का कहना है कि सरकार को प्रदूषण के स्तर को बढ़ने को एक इवेंट के रूप में नहीं देखना चाहिए। इसे 12 महीने काम करने की आवश्यकता है।

अभी हवा का दबाव अधिक है, जिससे प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। स्मॉग आसमान में एक स्थान पर बना रहता है। एनसीआर प्रशासन को कंस्ट्रक्शन साइट्स और सड़कों पर धूल के मुद्दे पर गंभीरता से कार्य करना चाहिए

उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण का बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अन्य उम्र के लोगों को भी सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन जैसी समस्याएं होने लगी हैं। एक रिसर्च से यह पता चला है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण एनसीआर में रहने वालों की उम्र भी कम होती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, दीपावली के दिन सुबह से ही एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब श्रेणी में पहुंच गया था, जो 250 के पार था। दिन के समय कुछ कमी आई, लेकिन शाम 5 बजे के बाद रात 12 बजे तक एयर क्वालिटी इंडेक्स में लगातार वृद्धि देखी गई। रात 12 बजे के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 600-700 के पार दर्ज हुआ।

मंगलवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के करीब था। इस प्रदूषण में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की भागीदारी 0.8 दर्ज की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब शामिल हैं।

अगर ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण की बात करें तो उसकी भागीदारी 16 फीसदी है, और घरों से आने वाले धुएं का योग 4 फीसदी है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि दीपावली के धुएं में 70 फीसदी पटाखों का योगदान हो सकता है। हालांकि इस पर कोई सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी, जिससे प्रदूषण कम हो सकता है, लेकिन फिर भी प्रदूषण की समस्या बनी रहती है।

आम तौर पर हमारे फेफड़ों के लिए 60 से कम एयर क्वालिटी इंडेक्स होना चाहिए। इससे अधिक का होना बहुत खतरनाक है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। उनके रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जाएगा।

Point of View

बल्कि पूरे देश का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। हमें सभी स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण पटाखों का इस्तेमाल, वाहन प्रदूषण, और पराली जलाना है।
क्या ग्रीन पटाखे प्रदूषण कम कर सकते हैं?
ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से समस्या का समाधान नहीं हैं।