क्या कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने परिवार संग श्री राघवेंद्र स्वामी मठ का दौरा किया?
सारांश
Key Takeaways
- उपमुख्यमंत्री ने भक्ति और आध्यात्मिकता की खोज में मठ का दौरा किया।
- स्थानीय देवी के मंदिर में पूजा की गई।
- मठ के प्रमुख से महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुईं।
- आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त किया गया।
- भक्तों के लिए मठ का ऐतिहासिक महत्व है।
रायचूर (कर्नाटक), 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने अपनी पत्नी और परिवार के सदस्यों के साथ रायचूर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध श्री राघवेंद्र स्वामी मठ (मंत्रालय) का दौरा किया।
यह यात्रा भक्ति और आध्यात्मिक शांति की तलाश में की गई, जहां उन्होंने पूजा और दर्शन किए। मठ के प्रमुख श्री सुबुदेंद्र तीर्थ से मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने मठ की गतिविधियों और परंपराओं पर विस्तार से चर्चा की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यात्रा की शुरुआत ग्राम देवी मंचलम्मा देवी मंदिर से हुई। डी.के. शिवकुमार ने यहां विशेष पूजा-अर्चना की और देवी के दर्शन किए। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंचलम्मा देवी इस क्षेत्र की कुलदेवी हैं, और उनके दर्शन से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा के बाद वे मठ के मुख्य आकर्षण, राया के मूल वृंदावन पहुंचे। यहां उन्होंने श्री राघवेंद्र स्वामी के ब्रह्म संकल्प मंदिर में विशेष आरती उतारी और प्रार्थना की। वृंदावन में समय बिताते हुए उन्होंने स्वामीजी की शिक्षाओं पर चिंतन किया।
इसके बाद, उपमुख्यमंत्री ने मठ के प्रमुख श्री सुबुदेंद्र तीर्थ से भेंट की। दोनों ने मठ के ऐतिहासिक महत्व, दैनिक पूजाओं और भक्तों की सेवा पर चर्चा की। श्री सुबुदेंद्र तीर्थ ने डी.के. शिवकुमार दंपत्ति को श्री राघवेंद्र स्वामी का आशीर्वाद दिया, जो उनके लिए विशेष क्षण साबित हुआ। मठ प्रशासन ने बताया कि यह आशीर्वाद भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
इस दर्शन यात्रा के दौरान मंत्री एन.एस. बोसाराजू, विधायक बसवनगौड़ा दद्दल, वसंतकुमार, उपायुक्त नीतीश के. और कई अन्य स्थानीय नेता व अधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने उपमुख्यमंत्री का स्वागत किया और क्षेत्र की समस्याओं पर बातचीत की।
बता दें कि श्री राघवेंद्र स्वामी मठ आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है, लेकिन कर्नाटक के रायचूर से सटा होने के कारण इसे सीमावर्ती तीर्थस्थल कहा जाता है। यह द्वैत परंपरा का प्रमुख केंद्र है, जहां हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।