क्या डीएमके सरकार सरकारी अस्पतालों में खाली पदों के संकट का समाधान नहीं कर पा रही है? : सी. विजयभास्कर
सारांश
Key Takeaways
- डीएमके सरकार सरकारी अस्पतालों में खाली पदों को भरने में असफल है।
- स्वास्थ्य प्रणाली में गंभीर संकट बढ़ता जा रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में प्रशासनिक लापरवाही के संकेत मिल रहे हैं।
- सरकारी अस्पतालों में आधारभूत संरचना की समस्याएं भी मौजूद हैं।
चेन्नई, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के संगठन सचिव सी. विजयभास्कर ने डीएमके सरकार पर तीखा हमला किया है। उनका कहना है कि वर्तमान सरकार राज्यभर के सरकारी अस्पतालों में आवश्यक खाली पदों को भरने में असफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में बढ़ते संकट को छिपाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम के उन बयानों पर भी सवाल उठाए, जिसमें कहा गया था कि सभी पद भरे हुए हैं। उन्होंने इसे 'पूरी तरह से झूठा' करार दिया और कहा कि यह केवल ध्यान भटकाने का एक प्रयास है।
विजयभास्कर ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की जमीनी हकीकत इन बयानों से बिल्कुल भिन्न है। प्रारंभिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों तक, स्वास्थ्य संस्थानों में कर्मचारियों की भारी कमी देखी जा रही है।
उन्होंने बताया कि डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल अधिकारियों, फार्मासिस्टों, लैब टेक्नीशियनों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के पदों की भरपूर कमी है, जिससे मरीजों की देखभाल पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, खासकर ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में।
उन्होंने यह भी कहा कि कभी देश के लिए एक आदर्श मानी जाने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली अब प्रशासनिक लापरवाही और खराब मानव संसाधन योजना के कारण संघर्ष कर रही है।
पूर्व मंत्री ने आधारभूत संरचना की समस्याओं की ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया कि कृष्णागिरी, नमक्कल, थेनी, तिरुचि और कुड्डालोर जैसे जिलों में करोड़ों रुपए की लागत से बने कई सरकारी अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विभाग में कोई पद खाली नहीं है, जबकि सरकार ने लगभग 1,100 डॉक्टरों के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। अगर कोई पद खाली नहीं है, तो डॉक्टरों की भर्ती क्यों की जा रही है?