क्या डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन भारत की एकता और अखंडता के लिए समर्पित था?

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क्या डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन भारत की एकता और अखंडता के लिए समर्पित था?

सारांश

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन भारत की एकता और अखंडता के लिए समर्पित था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनकी जयंती पर उनकी महानता को याद किया और बताया कि कैसे उनके सपनों को आज प्रधानमंत्री मोदी ने साकार किया है। जानिए, कैसे डॉ. मुखर्जी ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Key Takeaways

  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित था।
  • उन्होंने कश्मीर में धारा 370 के खिलाफ संघर्ष किया।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने उनके सपनों को साकार किया।
  • बंगाल के अकाल के समय उनकी सेवाएं महत्वपूर्ण थीं।
  • उन्होंने खाद्य आत्मनिर्भरता की नींव रखी।

लखनऊ, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सीएम योगी ने बताया कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था। उन्होंने केवल 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति के रूप में कार्य किया। वह एक प्रभावशाली वक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और महान शिक्षाशास्त्री थे।

सीएम योगी ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित रहा। बंगाल में अकाल के समय उनकी सेवाओं को पूरा देश याद करता है। उनका जीवन भारत की एकता और अखंडता के प्रति समर्पित था। डॉ. मुखर्जी ने स्वतंत्रता के बाद, पंडित नेहरू के नेतृत्व वाली पहली सरकार में भारत के खाद्य एवं उद्योग मंत्री के रूप में देश में खाद्य आत्मनिर्भरता और औद्योगीकरण की नींव रखी, जो आज भी स्पष्ट है। उन्होंने नेहरू सरकार की तुष्टिकरण नीति के खिलाफ मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था। इतना ही नहीं, भारतीय जनसंघ का गठन करने वाले पहले अध्यक्ष के रूप में, जब नेहरू सरकार ने कश्मीर को 370 धारा के माध्यम से विशेष दर्जा देने का प्रयास किया, तब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सबसे पहले इस पर आवाज उठाई थी। उन्होंने उस समय कहा था कि एक देश में 'दो प्रधान, दो विधान और दो निशान' नहीं चलेंगे। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इन सपनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया।

सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करके कश्मीर को भारतीय संविधान के अनुरूप जोड़ते हुए 'एक विधान, एक प्रधान और एक निशान' के सिद्धांत को लागू किया है। आज जम्मू कश्मीर तेजी से विकास कर रहा है, जो श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के संकल्पों की जीत है। यह सब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संभव हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब दुनिया भर में निवेश के बेहतरीन गंतव्य के रूप में स्थापित हुआ है।

सीएम योगी ने कहा कि औद्योगीकरण की नींव श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आजाद भारत में रखी थी और आज उसका एक विशाल रूप देश में देखने को मिल रहा है। इस सदी की सबसे बड़ी महामारी के दौरान, जब पूरी दुनिया संकट में थी, तब भारत ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान किया, जो आज भी जारी है। ये सभी संकल्प श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार करने का प्रतीक हैं।

Point of View

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान भारतीय राजनीति में अद्वितीय है। उनका जीवन और कार्य न केवल आज के समय में, बल्कि भविष्य में भी हमें मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनका दृष्टिकोण और संकल्प हमें एक मजबूत और एकजुट भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कब हुआ?
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था।
डॉ. मुखर्जी ने कब और क्यों इस्तीफा दिया?
उन्होंने नेहरू सरकार की तुष्टिकरण नीति के खिलाफ मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया।
क्या डॉ. मुखर्जी ने कश्मीर के लिए क्या किया?
उन्होंने कश्मीर को 370 धारा के माध्यम से विशेष दर्जा देने का विरोध किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या किया?
प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करके एक विधान, एक प्रधान और एक निशान का सिद्धांत लागू किया।
डॉ. मुखर्जी की विरासत क्या है?
उनकी विरासत भारत की एकता और अखंडता के लिए समर्पण और संघर्ष का प्रतीक है।
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