क्या डीआरडीओ ने लड़ाकू विमान के एस्केप सिस्टम का सफल हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड परीक्षण किया?

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क्या डीआरडीओ ने लड़ाकू विमान के एस्केप सिस्टम का सफल हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड परीक्षण किया?

सारांश

डीआरडीओ का हालिया परीक्षण एस्केप सिस्टम की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह टेस्ट भारत को उन देशों की सूची में शामिल करता है जो इस तकनीक में उन्नत हैं। जानिए इस परीक्षण की विशेषताएं और इसके महत्व।

Key Takeaways

  • डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक एस्केप सिस्टम का परीक्षण किया।
  • यह परीक्षण पायलटों के लिए सुरक्षा में सुधार करेगा।
  • भारत अब इस तकनीक में उन्नत देशों में शामिल हो गया है।
  • प्रयोग में डुअल-स्लेड सिस्टम का उपयोग किया गया।
  • यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने लड़ाकू विमानों के एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड परीक्षण किया है। यह तकनीक पायलट को आपात स्थितियों में विमान से सुरक्षित बाहर निकलने में मदद करती है। यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा

डीआरडीओ के अनुसार, यह परीक्षण नियंत्रित गति पर किया गया था, जिसका उद्देश्य कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन अनुक्रम और एयरक्रू रिकवरी की संपूर्ण प्रक्रिया का वास्तविक परिस्थितियों में मूल्यांकन करना था। रक्षा मंत्री और डीआरडीओ प्रमुख ने इस उपलब्धि पर शोधकर्ताओं को बधाई दी है। यह तकनीक पायलट को विमान के क्रैश होने की स्थिति में सुरक्षित बचाने में सक्षम है।

डीआरडीओ का यह परीक्षण टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी, चंडीगढ़ स्थित रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड सुविधा में किया गया। यह केंद्र अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के डायनेमिक परीक्षणों के लिए विश्वस्तरीय माना जाता है। भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जो एस्केप सिस्टम डायनेमिक परीक्षण कर सकते हैं।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस सफल परीक्षण ने भारत को इस तकनीक से लैस चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है। ये वे देश हैं जिनके पास विमान के एस्केप सिस्टम का डायनेमिक परीक्षण करने की क्षमता है। डायनेमिक परीक्षण वास्तविक उड़ान परिस्थितियों के बेहद करीब होते हैं और स्थिर परीक्षणों की तुलना में कहीं अधिक जटिल माने जाते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस परीक्षण में डुअल-स्लेड सिस्टम का उपयोग किया गया। इसे कई सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर्स के चरणबद्ध प्रक्षेपण द्वारा नियंत्रित गति तक पहुँचाया गया। स्लेड पर एलसीए यानी हल्के लड़ाकू विमान के फोरबॉडी सेक्शन को लगाया गया। परीक्षण के मुख्य हिस्सों में कैनोपी को तोड़ने के पैटर्न का विश्लेषण किया गया और इजेक्शन अनुक्रम की परख की गई। एयरक्रू रिकवरी का पूर्ण सिमुलेशन किया गया। इन सभी प्रक्रियाओं को रिकॉर्ड करने के लिए ऑनबोर्ड कैमरा और ग्राउंड-बेस्ड हाई-स्पीड इमेजिंग सिस्टम का उपयोग किया गया।

इस परीक्षण में एंथ्रोपोमोर्फिक टेस्ट डमी का उपयोग भी शामिल था। एस्केप प्रक्रिया के दौरान पायलट को लगने वाली लोड, मोमेंट, एक्सीलेरेशन जैसे महत्वपूर्ण डेटा को रिकॉर्ड करने के लिए एक इंस्ट्रूमेंटेड एटीडी डमी का उपयोग किया गया। यह परीक्षण डीआरडीओ ने एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से किया। भारतीय वायुसेना और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के अधिकारियों ने भी परीक्षण को प्रत्यक्ष रूप से देखा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, वायुसेना, एडीए, एचएएल और उद्योग साझेदारों को इस उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि यह सफलता आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है। वहीं, डीआरडीओ के चेयरमैन एवं रक्षा अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने भी टीम की सराहना की और कहा कि यह परीक्षण भारत की स्वदेशी क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाता है।

Point of View

बल्कि यह आत्मनिर्भरता की ओर भी एक सकारात्मक संकेत है। सरकार और रक्षा क्षेत्र के सभी प्रतिनिधियों को इस प्रयास को आगे बढ़ाना चाहिए।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

डीआरडीओ का एस्केप सिस्टम परीक्षण कब हुआ?
यह परीक्षण 2 दिसंबर को नई दिल्ली में हुआ।
इस परीक्षण का उद्देश्य क्या था?
इसका उद्देश्य पायलटों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एस्केप सिस्टम की वास्तविक परिस्थितियों में कार्यक्षमता का परीक्षण करना था।
इस परीक्षण में कौन-कौन से तकनीकी पहलुओं का मूल्यांकन किया गया?
इसमें कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन अनुक्रम और एयरक्रू रिकवरी की प्रक्रिया का मूल्यांकन किया गया।
क्या यह परीक्षण सफल रहा?
जी हां, यह परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा।
इस परीक्षण में किस प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया गया?
इसमें ऑनबोर्ड कैमरा, ग्राउंड-बेस्ड हाई-स्पीड इमेजिंग सिस्टम और इंस्ट्रूमेंटेड एटीडी डमी का उपयोग किया गया।
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