क्या दुर्गापुर गैंगरेप केस में सुरक्षा व्यवस्था में खामियाँ हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता।
- पुलिस कार्रवाई में तत्परता।
- पीड़िता की चिकित्सा सहायता।
- यौन उत्पीड़न निवारण के दिशानिर्देशों का पालन।
- संस्थागत सुरक्षा तंत्र की समीक्षा।
दुर्गापुर, १४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की सदस्य, डॉ. अर्चना मजूमदार ने आईक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज दुर्गापुर की एक मेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की तथ्यान्वेषण रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में अस्पताल और प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था, जांच प्रक्रिया और कानून-व्यवस्था में गंभीर लापरवाही की ओर इशारा किया गया है।
यह घटना १० अक्टूबर की रात को कॉलेज परिसर के निकट के जंगल क्षेत्र में हुई। मीडिया में खबर फैलने के बाद, ११ अक्टूबर को डॉ. मजूमदार पीड़िता, अस्पताल प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से मिलने के लिए现场 पर गईं।
पीड़िता के अनुसार, १० अक्टूबर की रात लगभग ८ बजे वह अपने मित्र वासीफ अली के साथ कॉलेज परिसर से बाहर भोजन खरीदने गई थी। दोनों १.५ किलोमीटर दूर स्थित रेस्टोरेंट की ओर बढ़ रहे थे। इस दौरान, उन्होंने देखा कि बाइक पर तीन लोग उनका पीछा कर रहे हैं।
खतरा महसूस करते हुए, वे नजदीकी जंगल की ओर भागे। इसी समय बाइक सवार युवक उनके पास पहुंच गए। रिपोर्ट के अनुसार, उनमें से दो ने छात्रा के साथ दुष्कर्म किया, जबकि तीसरा व्यक्ति पहरा देता रहा। कुछ देर बाद दो और लोग वहां आए और छात्रा के फोन से उसके मित्र को बुलाकर धमकाया। इसके बाद, पीड़िता को खून से लथपथ हालत में कॉलेज हॉस्टल लाया गया, जहां उसे तुरंत आईक्यू सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डॉ. अर्चना मजूमदार ने अस्पताल में इलाज कर रहे स्त्री रोग विशेषज्ञों और डॉक्टरों से बात की। डॉक्टरों ने बताया कि छात्रा को गंभीर रक्तस्राव और दर्द की स्थिति में अस्पताल लाया गया था। उसका मेडिको-लीगल परीक्षण किया गया और फोरेंसिक नमूने पुलिस को सौंपे गए। अगले दिन, छात्रा को पोस्ट-ऑपरेटिव केयर यूनिट में भर्ती किया गया।
निरीक्षण में यह पाया गया कि अस्पताल से जुड़ी सड़क घने जंगल से होकर गुजरती है, जहां न तो स्ट्रीट लाइट है और न ही सीसीटीवी की निगरानी। यह क्षेत्र रात में बेहद असुरक्षित रहता है। पुलिस की नियमित गश्त का कोई प्रमाण नहीं मिला। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू किया गया 'रात्रि साथी' प्रोजेक्ट इस क्षेत्र में पूरी तरह निष्क्रिय पाया गया।
इसके अलावा, अस्पताल में आंतरिक शिकायत समिति के बारे में कोई जानकारी या यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों का प्रदर्शन नहीं पाया गया, जो यौन उत्पीड़न निवारण कानून, २०१३ का सीधा उल्लंघन है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि १२ अक्टूबर तक पुलिस ने अपराध स्थल को सील नहीं किया, जिससे सबूतों के नष्ट होने की संभावना बढ़ गई। फोरेंसिक जांच भी अधूरी रही।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि पीड़िता को निशुल्क और उच्चस्तरीय चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाए। आवश्यकता होने पर उसे एम्स कल्याणी या भुवनेश्वर भेजा जाए। सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में मामला चलाया जाए। सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में हो। पीड़िता की शैक्षणिक परीक्षा में रियायत दी जाए, ताकि उसकी पढ़ाई प्रभावित न हो।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग कॉलेज का सुरक्षा और अधोसंरचना का ऑडिट करे और रिपोर्ट १ माह में एनसीडब्ल्यू को सौंपे। पुलिस चौकी या सहायता केंद्र अस्पताल परिसर में स्थापित किया जाए। कॉलेज में लाइट, सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट तुरंत तैयार की जाए। छात्राओं की सुरक्षा के लिए कैंपस के भीतर फूड आउटलेट और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह घटना संस्थागत सुरक्षा तंत्र की गहरी विफलता को उजागर करती है। अपर्याप्त सुरक्षा, कमजोर निगरानी और जांच में लापरवाही ने शासन की गंभीर खामियों को सामने लाया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि वह इस मामले की जांच, पीड़िता के इलाज और न्याय प्रक्रिया की निगरानी तब तक जारी रखेगा, जब तक पीड़िता को पूरा न्याय नहीं मिलता।