क्या द्वारका तिरुमला मंदिर है कलियुग का वैकुंठ वास?

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क्या द्वारका तिरुमला मंदिर है कलियुग का वैकुंठ वास?

सारांश

द्वारका तिरुमला मंदिर, जो भगवान विष्णु को समर्पित है, एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। इसकी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व भक्तों को आकर्षित करता है। जानिए इस मंदिर की अद्भुत कहानी और इसके दर्शन का महत्व।

Key Takeaways

  • द्वारका तिरुमला मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • यह मंदिर आध्यात्मिक शांति का केंद्र है।
  • मंदिर की स्थापना महान ऋषि द्वारा की गई थी।
  • यहाँ भक्तों के लिए विभिन्न सेवाएँ उपलब्ध हैं।
  • मंदिर के आस-पास कई दर्शनीय स्थल हैं।

नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में बहुसंख्यक मंदिरों का समर्पण भगवान मुरुगन और भगवान विष्णु को किया गया है। इसके साथ ही भगवान शिव और पार्वती को भी समर्पित कई मंदिर हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा पूजा भगवान मुरुगन और भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की की जाती है। आंध्र प्रदेश में एक विशेष मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है, और इसकी वास्तुकला और स्थान अत्यंत शानदार हैं।

द्वारका तिरुमला मंदिर आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में एलुरु के निकट एक पहाड़ी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने की अनेक सुविधाएं उपलब्ध हैं। मंदिर के निकट रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों मौजूद हैं। एलुरु शहर से 42 किलोमीटर की दूरी पर रेलवे जंक्शन है। यदि आप भीमाडोले की दिशा से आ रहे हैं, तो 15 किलोमीटर की दूरी पर ही रेलवे जंक्शन है। चूंकि मंदिर पहाड़ी पर बसा है, भक्त सीढ़ियों के माध्यम से मंदिर तक पहुँचते हैं। यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति का एक प्रमुख केंद्र है। भक्तों का मानना है कि भगवान विष्णु के दर्शन से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि महान ऋषि 'द्वारका' ने चींटियों के टीले पर वर्षों तक भगवान विष्णु की पूजा की थी, जिसके परिणामस्वरूप स्वयंभू भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा प्रकट हुई थी। इस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, 11वीं शताब्दी में म्यावलवरम जमींदारों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। भक्तों के बीच श्री वेंकटेश्वर को कलियुग वैकुंठ वास के नाम से भी जाना जाता है।

द्वारका तिरुमला मंदिर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां भगवान विष्णु को प्रिय सभी चीजें रखी गई हैं। यहाँ आपको बाग-बगीचे, गौवंश की प्रतिमा, और भगवान विष्णु के बाल रूप भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा भी देखने को मिलेगी। मंदिर में भक्तों के लिए विभिन्न सेवाएँ उपलब्ध हैं, जिनके लिए शुल्क निर्धारित है, जिसमें दैनिक सुबह की पूजा में सुप्रभात सेवा, अस्तोत्तारा सतानामार्चना, और नित्या अर्जिता कल्याणम शामिल हैं। सुप्रभात सेवा और अस्तोत्तारा सतानामार्चना सेवा के लिए भक्तों को 300 रुपए का भुगतान करना होगा, जबकि नित्या अर्जिता कल्याणम के लिए 2000 रुपए देने होंगे।

मंदिर के आसपास ऐसी कई स्थल हैं, जहां पर्यटक घूमने के लिए जा सकते हैं। मंदिर के 35 किलोमीटर के दायरे में श्री कुंकुलम्मा वारी मंदिर, श्री संतान वेणुगोपाल जगन्नाध स्वामी मंदिर, और श्री अंजनेय तथा श्री सुब्रह्मण्येश्वर स्वामीवर्ला मंदिर स्थित हैं।

Point of View

बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और इतिहास का भी प्रतीक है। यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति का स्रोत है और आधुनिक समय में भी इसकी महत्ता बनी हुई है।
NationPress
06/11/2025

Frequently Asked Questions

द्वारका तिरुमला मंदिर कहाँ स्थित है?
द्वारका तिरुमला मंदिर आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में एलुरु के पास स्थित है।
क्या द्वारका तिरुमला मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है?
हाँ, यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे कलियुग का वैकुंठ माना जाता है।
द्वारका तिरुमला मंदिर की स्थापना किसने की थी?
यह मंदिर महान ऋषि द्वारका द्वारा स्थापित किया गया था, जिन्होंने वर्षों तक तपस्या की।
मंदिर में भक्तों के लिए कौन-कौन सी सेवाएँ उपलब्ध हैं?
मंदिर में सुप्रभात सेवा, अस्तोत्तारा सतानामार्चना, और नित्या अर्जिता कल्याणम जैसी सेवाएँ उपलब्ध हैं।