क्या ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की 3,000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की?

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क्या ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की 3,000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी संपत्तियों को जब्त किया है। क्या यह बैंकिंग धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला है? जानें इस रिपोर्ट में!

Key Takeaways

  • ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की 3,084 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की।
  • यह कार्रवाई पब्लिक फंड की हेराफेरी और लॉन्ड्रिंग के संदर्भ में की गई है।
  • यस बैंक ने रिलायंस ग्रुप में बड़े निवेश किए थे।
  • रिलायंस ग्रुप ने आरोपों को खारिज किया।
  • यह मामला वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।

मुंबई, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पब्लिक फंड की कथित हेराफेरी और लॉन्ड्रिंग के मामले में रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से संबंधित लगभग 3,084 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।

इन संपत्तियों में मुंबई के पाली हिल में स्थित आवास, नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर और दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम सहित) और पूर्वी गोदावरी में कई संपत्तियां शामिल हैं।

इन संपत्तियों में ऑफिस एवं रेजिडेंशियल यूनिट्स और लैंड पार्सल शामिल हैं।

संपत्तियों को जब्त करने का आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 5(1) के तहत 31 अक्टूबर, 2025 को जारी किया गया था।

यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) द्वारा जुटाए गए बैंकिंग लोन के हेरफेर और लॉन्ड्रिंग से संबंधित है।

2017-19 के दौरान, यस बैंक ने आरएचएफएल इंस्ट्रूमेंट्स में 2,965 करोड़ रुपए और आरसीएफएल इंस्ट्रूमेंट्स में 2,045 करोड़ रुपए का निवेश किया।

दिसंबर 2019 तक ये इन्वेस्टमेंट नॉन-परफॉर्मिंग (एनपीए) बन चुके थे, जिसमें आरएचएफएल पर 1,353.50 करोड़ रुपए और आरसीएफएल पर 1,984 करोड़ रुपए बकाया थे।

ईडी की जांच में यह सामने आया कि सेबी के म्यूचुअल फंड कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट फ्रेमवर्क के कारण पहले के रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड द्वारा अनिल अंबानी ग्रुप की फाइनेंशियल कंपनियों में सीधा इन्वेस्टमेंट कानूनी तौर पर संभव नहीं था।

इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए, आम जनता द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेशित पैसा यस बैंक के एक्सपोजर के जरिए इनडायरेक्टली रूट किया गया, जो अंततः अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के पास पहुंचा।

जांच में यह भी पता चला कि फंड यस बैंक के आरएचएफएल और आरसीएफएल के एक्सपोजर के जरिए इनडायरेक्टली रूट किए गए थे, जबकि आरएचएफएल और आरसीएफएल ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी संस्थाओं को लोन दिए थे।

इस बीच, ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और संबंधित कंपनियों के लोन फ्रॉड स्कैम में भी अपनी जांच तेज कर दी है।

पिछले हफ्ते, इन्वेस्टिगेटिव न्यूज वेबसाइट कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने एक बड़ा बैंकिंग फ्रॉड किया है और इसमें 2006 से अब तक 28,874 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का हेरफेर किया गया है।

रिलायंस ग्रुप ने कोबरापोस्ट की रिपोर्ट को "एक दुर्भावनापूर्ण, आधारहीन और मकसद से चलाया गया अभियान" बताकर खारिज कर दिया था।

Point of View

हमारा दृष्टिकोण यह है कि यह मामला न केवल एक बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी का संकेत है, बल्कि यह हमारे वित्तीय प्रणाली की स्थिरता पर भी सवाल उठाता है। हमें ऐसे मामलों में पारदर्शिता और सच्चाई की आवश्यकता है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

ईडी ने क्यों संपत्तियां जब्त की?
ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों से जुड़े पब्लिक फंड की कथित हेराफेरी और लॉन्ड्रिंग के कारण संपत्तियां जब्त की हैं।
इन संपत्तियों में क्या शामिल है?
इन संपत्तियों में ऑफिस, रेजिडेंशियल यूनिट्स और विभिन्न लैंड पार्सल शामिल हैं।
यह मामला किससे संबंधित है?
यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड द्वारा जुटाए गए बैंकिंग लोन के हेरफेर से संबंधित है।
क्या यह एक बड़ा बैंकिंग फ्रॉड है?
जी हां, यह मामला एक बड़े बैंकिंग फ्रॉड का संकेत देता है, जिसमें 28,874 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का हेरफेर किया गया है।
रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों पर क्या कहा?
रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों को 'दुर्भावनापूर्ण और आधारहीन' बताया है।
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