क्या ईडी ने झारखंड के ग्रामीण विकास के टेंडर घोटाले में चौथा आरोप पत्र दाखिल किया?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के टेंडर घोटाले में 22 आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की है।
- आरोपितों में तत्कालीन मंत्री और अन्य उच्च अधिकारी शामिल हैं।
- ईडी ने 37.54 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की है।
- यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का उदाहरण है।
- ईडी की जांच में कई प्राइवेट कंपनियों का नाम भी शामिल है।
रांची, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के अत्यधिक चर्चित टेंडर कमीशन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आठ नए आरोपितों के खिलाफ पीएमएलए अदालत में आरोप पत्र पेश किया है। अब इस मामले में आरोपितों की कुल संख्या 22 हो गई है।
इन नए आरोपितों में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल की पत्नी रीता लाल, ठेकेदार राजेश कुमार, राजीव कुमार सिंह, राधा मोहन साहू, और रिश्वतखोरी की रकम को मैनेज करने वाले अतुकिल रहमान सहित कुछ प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां शामिल हैं।
ईडी ने अपने चौथे आरोप पत्र में खुलासा किया है कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर आवंटन के एवज में ठेकेदारों ने तत्कालीन चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम को कमीशन के तौर पर मोटी रकम और महंगी गाड़ियां दीं। ईडी ने जांच में पाया कि ठेकेदार राजेश कुमार ने बीरेंद्र राम को 1.88 करोड़ रुपए नकद और दो गाड़ियां टोयोटा इनोवा और टोयोटा फॉर्च्यूनर दी थीं। ठेकेदार राधा मोहन साहू ने भी 39 लाख रुपए और एक टोयोटा फॉर्च्यूनर रिश्वत के रूप में दी थी।
ईडी ने घूस की रकम का हिसाब रखने वाले अतिकुल रहमान को भी आरोपित किया है। उसके घर से 4.40 लाख रुपए नकद बरामद हुए थे। जांच एजेंसी ने ठेकेदार राजीव कुमार सिंह को भी अभियुक्त बनाया है, जिनके आवास से 2.13 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे। इस घोटाले में मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और परमानंद सिंह बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
ईडी ने संजीव लाल की पत्नी रीता लाल को भी अवैध आमदनी से संपत्ति खरीदने के आरोप में आरोपित किया है।
ईडी ने टेंडर आवंटन में कमीशनखोरी के मामले में कार्रवाई करते हुए ६ मई, २०२४ को संजीव लाल के नौकर सहित अन्य आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी कर कुल 37.54 करोड़ रुपए बरामद किए थे।
इस मामले में कई अन्य आरोपितों के साथ तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री भी गिरफ्तार किए गए हैं, जो इस समय जेल में हैं। पहले के तीन आरोप पत्रों में ईडी ने आलमगीर आलम, संजीव लाल, बीरेंद्र राम, हवाला कारोबारी, दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट और अन्य सहयोगियों को आरोपित किया था।