क्या ईडी ने किंगफिशर कर्मचारियों के लिए 311.67 करोड़ रुपए की राशि बहाल की?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने 311.67 करोड़ रुपए की राशि किंगफिशर कर्मचारियों को बहाल की।
- यह कार्रवाई पीएमएलए के तहत की गई है।
- विजय माल्या का नाम इस मामले में शामिल है।
- कर्मचारियों का बकाया एक दशक से लटका हुआ था।
- ईडी की कार्रवाई न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुंबई, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय ने किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (केएएल) के पूर्व कर्मचारियों के लिए 311.67 करोड़ रुपए की राशि की बहाली सुनिश्चित की है। यह महत्वपूर्ण कदम उन कर्मचारियों को उनके लंबे समय से रुके हुए बकायों को दिलाने की दिशा में उठाया गया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत अपराध की आय को प्रभावित पक्षों तक पहुंचाने की नीति को मजबूत करती है।
यह राशि चेन्नई में स्थित डेब्ट्स रिकवरी ट्रिब्यूनल-1 के रिकवरी अधिकारी द्वारा 12 दिसंबर 2025 को पारित आदेश के बाद जारी की जा रही है। ट्रिब्यूनल ने उन शेयरों की बिक्री से प्राप्त धनराशि को जारी करने का निर्देश दिया, जिन्हें पहले ईडी ने संलग्न किया था और बाद में पीएमएलए के धारा 8(8) के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को बहाल किया गया था। अब यह राशि आधिकारिक परिसमापक (ऑफिशियल लिक्विडेटर) को भेजी जाएगी, जो इसे किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों में वितरित करेगा।
ईडी की यह जांच कई एफआईआर पर आधारित थी, जिन्हें सीबीआई ने किंगफिशर एयरलाइंस, विजय माल्या और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ दर्ज किया था। इन एफआईआर में बैंक धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र जैसे आरोप शामिल थे, जो पीएमएलए के तहत शेड्यूल्ड अपराध की श्रेणी में आते हैं। जांच में यह सामने आया कि लोन की बड़ी रकम को बड़े पैमाने पर डायवर्ट किया गया और उसका दुरुपयोग हुआ, जिसके बाद ईडी ने किंगफिशर एयरलाइंस, विजय माल्या, यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड और अन्य संबद्ध इकाइयों की चल-अचल संपत्तियों को अटैच कर दिया।
यह ध्यान देने योग्य है कि विजय माल्या को 5 जनवरी 2019 को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 के तहत फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर घोषित किया गया था। जांच और संपत्ति कुर्की की यह प्रक्रिया इस बात का प्रमाण है कि आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने और उसे प्रभावित पक्षों तक पहुंचाने में ईडी की सक्रिय भूमिका है।
ईडी ने अब तक 14,132 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियां एसबीआई को पीएमएलए के धारा 8(8) के तहत बहाल की हैं, और इसी संपत्ति पूल से कार्यबल के बकायों का भुगतान संभव हुआ है।
किंगफिशर कर्मचारियों का बकाया एक दशक से भी अधिक समय से लटका हुआ था। इस दिशा में ईडी ने एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय कर इस बात की सुविधा दी कि वह पीएमएलए के तहत बहाल परिसंपत्तियों का उपयोग कर्मचारियों के दावों के भुगतान में करे। ईडी की पहल पर एसबीआई ने डेब्ट्स रिकवरी ट्राइब्यूनल में इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन नंबर 01/2025 दायर की, जिसमें बैंक ने न केवल इन परिसंपत्तियों को कार्यबल के बकायों के भुगतान के लिए उपलब्ध कराने की पेशकश की, बल्कि यह भी स्वीकार किया कि कर्मचारियों के दावे सुरक्षित लेनदारों की तुलना में प्राथमिकता रखते हैं।
इसी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि आधिकारिक परिसमापक 311.67 करोड़ रुपए की राशि किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों को वितरित करे।
यह बहाली न केवल ईडी की अपराध की आय छीनने की नीति को पुष्ट करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि यह एजेंसी उन लोगों तक न्याय पहुंचाने को प्राथमिकता देती है जो आर्थिक अपराध से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। इस मामले में वह कर्मचारी वर्ग जिसने वर्षों पहले बिना किसी गलती के अपनी नौकरियां और बकाया खो दिए थे।