क्या ईडी ने सुमाया ग्रुप के प्रमोटर उशिक गाला को गिरफ्तार किया है, करोड़ों के गबन के आरोप में?
सारांश
Key Takeaways
- उशिक गाला की गिरफ्तारी से वित्तीय धोखाधड़ी का खुलासा हुआ।
- सुमाया ग्रुप पर फर्जी ट्रेडिंग का आरोप है।
- जांच जारी है और ईडी ने कई महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए हैं।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुंबई जोनल कार्यालय ने सुमाया ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रमोटर उशिक गाला को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तार किया है।
जांच एजेंसी ने सुमाया ग्रुप से संबंधित फंड मूवमेंट और दस्तावेजों की बारीकी से जांच करने के बाद ठोस साक्ष्य एकत्रित किए और फिर उन्हें गिरफ्तार किया। अदालत ने गाला को 24 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है।
यह मामला वर्ली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से आरंभ हुआ था, जिसे बाद में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपने नियंत्रण में ले लिया। जांच में मेसर्स डेंटसु कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स सुमाया इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसके प्रमोटर्स समेत अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ चल रही है।
आरोप है कि इन सभी ने मिलकर एक धोखाधड़ी की साजिश रची और ‘नीड टू फीड प्रोग्राम’ के फर्जी वादों के माध्यम से लगभग 137 करोड़ रुपए का गबन किया।
ईडी की प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि सुमाया ग्रुप और डेंटसु इंडिया के कुछ कर्मचारियों ने हरियाणा सरकार के नाम पर एक फर्जी कॉन्ट्रैक्ट तैयार किया ताकि इसे ट्रेड फाइनेंसिंग के लिए असली कारोबार के रूप में प्रदर्शित किया जा सके। इस कथित प्रोग्राम के तहत सुमाया की विभिन्न कंपनियों को मिले फंड को उशिक गाला ने एक एजेंट के माध्यम से दिल्ली और हरियाणा में स्थित नकली एग्रो ट्रेडर कंपनियों को भेजा। इन कंपनियों के जरिए फंड को कैश और आरटीजीएस एंट्री के रूप में वापस गाला तक पहुंचाया गया। जांच से स्पष्ट हुआ कि कोई वास्तविक एग्रो खरीद नहीं की गई थी।
सुमाया ग्रुप पर बड़े पैमाने पर ट्रेड दिखाने के लिए फर्जी इनवॉइस और लॉरी रसीदें बनाने का आरोप भी है। इन दस्तावेजों के आधार पर करीब 5,000 करोड़ रुपए के सर्कुलर ट्रांजैक्शन दर्शाए गए, जिनमें से केवल 10 प्रतिशत ही वास्तविक बताए जा रहे हैं। इस नकली कारोबार के सहारे सुमाया ग्रुप का टर्नओवर दो साल में 210 करोड़ रुपए से बढ़कर 6,700 करोड़ रुपए तक पहुंच गया और इसके शेयरों की कीमतों में भी भारी उछाल देखा गया, जिससे निवेशकों को गुमराह करने वाली स्थिति उत्पन्न हुई।
इस मामले में ईडी पहले ही मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम की 19 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन कर चुकी है, जहां से कई डिजिटल रिकॉर्ड, वित्तीय दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए गए थे। एजेंसी ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग और फंड डायवर्जन के इस पूरे नेटवर्क की जांच अभी जारी है।