क्या फेक बैंक गारंटी मामले में ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के एमडी को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक के एमडी को गिरफ्तार किया है।
- फर्जी बैंक गारंटी का मामला गंभीर है।
- कंपनी के अघोषित बैंक खाते मिले हैं।
- जांच में कई उल्लंघन पाए गए हैं।
- यह गिरफ्तारी रिलायंस ग्रुप से जुड़े मामले से संबंधित है।
भुवनेश्वर, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। फेक बैंक गारंटी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर को गिरफ्तार किया है।
धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (पीएमएलए) के अनुसार, ईडी ने भुवनेश्वर स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (बीटीपीएल) के पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बीटीपीएल और उसके निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को फर्जी बैंक गारंटी प्रदान करने का आरोप लगाया गया है।
ईडी की जांच में पता चला है कि बीटीपीएल ने एसईसीआई टेंडर के लिए एसबीआई की फर्जी एंडोर्समेंट और 68.2 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी की व्यवस्था की थी और उसे जमा किया। साथ ही, बनावटी ईमेल आईडी का उपयोग कर इन दस्तावेजों को वैध दिखाने की कोशिश की गई।
इस फर्जी बैंक गारंटी के बदले बीटीपीएल को रिलायंस पावर लिमिटेड से 5.40 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। जांच में यह भी सामने आया है कि 2019 में स्थापित एक छोटी कंपनी बीटीपीएल ने कई अघोषित बैंक खाते खोले और अपने घोषित कारोबार से अधिक लेनदेन किए। इसके साथ ही, कंपनी अधिनियम के कई उल्लंघन भी पाए गए हैं। पंजीकृत पते पर कोई वैधानिक रिकॉर्ड नहीं मिला है, जैसे खाता-बही, शेयरधारकों के रजिस्टर आदि। केवल दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए फर्जी निदेशकों का उपयोग किया गया है।
कंपनी के कम से कम 7 अघोषित बैंक खाते मिले हैं, जिनमें करोड़ों रुपए की आपराधिक आय का पता चला है। इसी क्रम में ईडी ने एमडी पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया है। एजेंसी इस मामले में आगे की जांच कर रही है।
यह गिरफ्तारी 24 से 27 जुलाई तक रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप से जुड़े 35 ठिकानों पर कई शहरों में छापेमारी के बाद हुई, जिसमें ईडी ने महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए। इसके बाद अनिल अंबानी के खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया और उन्हें 5 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया गया।