क्या इसरो ने गगनयान मिशन के मुख्य पैराशूट सिस्टम का सफल परीक्षण किया?
सारांश
Key Takeaways
- गगनयान मिशन का सफल परीक्षण मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- पैराशूट प्रणाली में 10 पैराशूट शामिल हैं, जो विभिन्न कार्य करते हैं।
- सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है। इसरो ने 3 नवंबर को उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित बबीना फील्ड फायरिंग रेंज (बीएफएफआर) में गगनयान क्रू मॉड्यूल के मुख्य पैराशूट प्रणाली का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण गगनयान मिशन के पैराशूट सिस्टम के क्वालिफिकेशन हेतु चल रही इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (आईएमएटी) श्रृंखला का एक हिस्सा है।
गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए डिजाइन किया गया पैराशूट सिस्टम 10 पैराशूटों को समाहित करता है, जिन्हें 4 श्रेणियों में बांटा गया है। इसकी अवरोहण प्रक्रिया दो एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट के साथ शुरू होती है, जो पैराशूट कम्पार्टमेंट के सुरक्षात्मक कवर को हटाते हैं। इसके बाद, दो ड्रोग पैराशूट तैनात किए जाते हैं, जो मॉड्यूल को स्थिर और धीमा करते हैं।
ड्रोग पैराशूट के रिलीज होने के बाद तीन पायलट पैराशूट सक्रिय होते हैं, जो तीन मुख्य पैराशूट को बाहर निकालते हैं। ये मुख्य पैराशूट क्रू मॉड्यूल की गति को कम करते हैं, जिससे सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित होती है। सिस्टम में अतिरिक्त सुरक्षा (रेडंडेंसी) की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे केवल दो मुख्य पैराशूट के माध्यम से भी सुरक्षित लैंडिंग संभव हो सके।
मुख्य पैराशूट का संचालन एक चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिसे रीफ्ड इन्फ्लेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में पैराशूट पहले आंशिक रूप से खुलता है (रीफिंग) और एक निश्चित समय के बाद पूरी तरह (डिसरीफिंग) खुल जाता है। यह प्रक्रिया पायरो डिवाइस की सहायता से नियंत्रित होती है।
हाल में, परीक्षण में डिसरीफिंग में संभावित विलंब की एक चरम स्थिति का अनुकरण किया गया। इस स्थिति में दो मुख्य पैराशूटों के बीच असमान डिसरीफिंग के दौरान सिस्टम की संरचनात्मक मजबूती और भार वितरण की जांच की गई। यह परीक्षण इसरो द्वारा डिजाइन की गई पैराशूट प्रणाली की अधिकतम डिजाइन सीमा की पुष्टि करने के लिए किया गया था।
इसके लिए क्रू मॉड्यूल के समान वजन वाले एक सिमुलेटेड पेलोड को भारतीय वायु सेना के आईएल-76 विमान से लगभग 2.5 किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया। पैराशूट सिस्टम ने नियोजित अनुक्रम के अनुसार कार्य किया, और परीक्षण मॉडल ने स्थिर अवरोहण के साथ सॉफ्ट लैंडिंग प्राप्त की। इससे यह स्पष्ट हुआ कि पैराशूट डिजाइन पूरी तरह से मजबूत और विश्वसनीय है।
इस सफल परीक्षण ने गगनयान मिशन के पैराशूट सिस्टम को मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए योग्य बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम सुनिश्चित किया है। इस मिशन में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), इसरो, एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीआरडीई), डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना की सक्रिय भागीदारी रही।