क्या गांधी परिवार से परेशानी के चलते केंद्र सरकार मनरेगा का नाम बदल रही है?: सपा सांसद अवधेश प्रसाद
सारांश
Key Takeaways
- गांधी परिवार से उत्पन्न समस्याओं के कारण नाम में परिवर्तन।
- मजदूरी समय पर न मिलने की समस्या।
- महंगाई के दौर में मजदूरी की दरें बढ़ाने की आवश्यकता।
- सरकार को श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
- सरकार के निर्णयों का जनता पर प्रभाव।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर वीबी-जी राम जी (विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण) योजना में परिवर्तित करने के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। उनका कहना है कि गांधी परिवार से उत्पन्न समस्याओं के कारण भाजपा सरकार ने यह निर्णय लिया है।
सांसद अवधेश प्रसाद ने सोमवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि किसी को भी गांधी परिवार से परेशानी नहीं होनी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि भाजपा को गांधी परिवार से असल में क्या परेशानी है? उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हमेशा के लिए अमर रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले श्रमिकों को काफी समय से मजदूरी नहीं मिली है। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए यह आवश्यक है कि समय पर मजदूरी दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए, जिससे श्रमिकों की स्थिति में सुधार हो सके। हमारे पास कई श्रमिक आते हैं और अपनी कठिनाइयों का उल्लेख करते हैं कि कैसे उन्हें समय पर मजदूरी नहीं मिलने से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
समाजवादी पार्टी के सांसद ने कहा कि जब से मनरेगा योजना शुरू हुई है, तब से मजदूरी को बढ़ाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है, जबकि महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी है। हमारे श्रमिक भाई-बहनों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार राहत पहुंचाने में असफल है।
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द श्रमिकों को उनकी मजदूरी दिलाएं, ताकि उनके जीवन यापन में कोई कठिनाई न आए।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि हमारी मांग है कि मनरेगा के तहत श्रमिकों की मजदूरी को कम से कम 1 हजार रुपये किया जाए, ताकि इस महंगाई के दौर में वे अच्छे से जीवनयापन कर सकें।