क्या बुधवार का व्रत गणेश जी और बुध देव की कृपा प्राप्त कराने में सहायक है?
सारांश
Key Takeaways
- बुधवार का व्रत गणेश जी और बुध देव की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
- यह दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का संयोग है।
- व्रत विधि में पंचामृत का प्रयोग आवश्यक है।
- इस दिन किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक होती है।
- बुध ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत लाभकारी है।
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार को आ रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य धनु राशि में और चंद्रमा तुला राशि में सुबह 10 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसके बाद यह वृश्चिक राशि में चले जाएंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से लेकर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
ज्योतिष में सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग को बेहद शुभ माना जाता है, जो किसी विशेष दिन एक निश्चित नक्षत्र के संगम से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य फलदायी होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है।
यह योग कई प्रकार के शुभ कार्यों जैसे नया व्यापार आरंभ करने, वाहन खरीदने या नए घर में प्रवेश करने के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।
इस दिन त्रयोदशी का व्रत भी रखा जा सकता है। कोई विशेष पर्व न होने के कारण आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन किए गए कुछ कार्य अत्यधिक शुभ फल देते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, बुधवार का व्रत बुध ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान गजानन की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
व्रत आरंभ करने के लिए जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनने चाहिए। फिर, मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी रखें। उस पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके आसन पर बैठें। इसके बाद भगवान गणेश को पंचामृत (जल, दूध, दही, शहद, घी) से स्नान कराएं और उनके ऊपर सिंदूर और घी का लेप लगाएं। जनेऊ और रोली से पूजन करें और कम से कम तीन दूर्वा और पीले, लाल पुष्प अर्पित करें। साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र और दाल भी चढ़ाएं।
इसके बाद लड्डू, हलवा या मीठी चीजों का भोग लगाकर श्री गणेश और बुध देव के मंत्रों का जाप करें। तत्पश्चात व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। अंत में, श्री गणेश और बुध देव की आरती करें।