क्या गंगटोक में नेटवर्क कनेक्टिविटी का दावा सच है?

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क्या गंगटोक में नेटवर्क कनेक्टिविटी का दावा सच है?

सारांश

गंगटोक में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी का दावा किया गया है, लेकिन क्या यह सच है? जानिए पर्यटकों के अनुभव और स्थानीय ड्राइवरों की चिंताएं।

Key Takeaways

  • सिक्किम के 68 सीमावर्ती गांवों में नेटवर्क कवरेज का दावा किया गया है।
  • पर्यटकों को नाथुला दर्रा जैसे स्थलों पर नेटवर्क की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
  • स्थानीय ड्राइवरों का कहना है कि बीएसएनएल का नेटवर्क विश्वसनीय नहीं है।
  • ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कैशलेस लेन-देन कठिन हो गए हैं।
  • सुधार के बावजूद, कनेक्टिविटी में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

गंगटोक, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सिक्किम के सभी 68 सीमावर्ती गांवों में सौ प्रतिशत मोबाइल नेटवर्क कवरेज की घोषणा के अगले दिन, पर्यटकों और स्थानीय वाहन चालकों ने यह बताया है कि नाथुला दर्रा, चांगू झील और बाबा मंदिर जैसे ऊंचाई वाले पर्यटन स्थलों पर अब भी नेटवर्क की समस्या बनी हुई है।

केंद्रीय संचार मंत्रालय ने 23 जुलाई को लोकसभा में सिक्किम के सांसद इंद्र हंग सुब्बा को दिए गए लिखित उत्तर में बताया कि डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) योजना के तहत राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में 68 गांवों को कवर करते हुए 11 मोबाइल टावर लगाए गए हैं ताकि पूर्ण कवरेज प्राप्त किया जा सके। सिक्किम और असम ही पूर्वोत्तर के दो राज्य हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।

गुवाहाटी के एक पर्यटक सुरिंदर सिंह ने कहा कि जब वे नाथुला गए थे, तब 10-15 किलोमीटर तक एक भी नेटवर्क नहीं था। किसी भी कंपनी का नेटवर्क कार्यरत नहीं था। यदि सिग्नल नहीं है, तो ऐसे क्षेत्रों में यूपीआई या डिजिटल भुगतान कैसे संभव है? पर्यटकों को नेटवर्क की इस कमी का कोई ज्ञान नहीं था।

उन्होंने आगे कहा कि नेटवर्क के बिना, कैशलेस लेन-देन असंभव हो जाते हैं, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में, जहां पर्यटकों को अक्सर डिजिटल भुगतान पर निर्भर रहने की सलाह दी जाती है। ऊंचाई पर स्थित बैंक ऑफ इंडिया एटीएम भी नेटवर्क कनेक्टिविटी के बिना बेकार हो जाते हैं और यूपीआई भुगतान विफल होने के बाद पर्यटकों को नकद पर निर्भर रहना पड़ता है।

गंगटोक के स्थानीय ड्राइवर अजय तमांग ने भी यही चिंता व्यक्त की, कि चांगू में केवल जियो और बाबा मंदिर में एयरटेल कार्य कर रहा है। पांचवें मील के पास, एक निश्चित बिंदु के बाद, सिग्नल बिल्कुल नहीं आता। बीएसएनएल आंशिक रूप से काम करता है लेकिन वह भी विश्वसनीय नहीं है। यह केवल कुछ स्थानों पर थोड़ी देर के लिए आता है और फिर बंद हो जाता है।

तमांग ने कहा कि स्थानीय निवासी ज्यादातर बीएसएनएल का इस्तेमाल करते हैं, जो कुछ कनेक्टिविटी प्रदान करता है। पहले इन क्षेत्रों में बीएसएनएल का भी सिग्नल नहीं था। हालांकि, इसमें सुधार हुआ है, फिर भी यह पूर्ण कवरेज की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। उन्होंने स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में कवरेज में सुधार हुआ है, लेकिन कमियां अभी भी बनी हुई हैं।

उन्होंने बताया कि लाचेन और लाचुंग जैसे ऊंचाई वाले उत्तरी क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क ठीक है। लेकिन, बिजली आपूर्ति की समस्याओं और खराब अवसंरचना के कारण बेहतर कनेक्टिविटी नहीं मिल रही है।

Point of View

लेकिन वास्तविकता में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। यह समस्या न केवल पर्यटकों के लिए, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी चिंताजनक है। सरकार को इसे गंभीरता से लेकर कनेक्टिविटी में सुधार के उपाय करने चाहिए।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

गंगटोक में नेटवर्क की समस्या क्यों है?
गंगटोक में नेटवर्क की समस्या ऊंचाई वाले क्षेत्रों और अवसंरचना की कमी के कारण है।
क्या सभी मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क गंगटोक में उपलब्ध है?
नहीं, गंगटोक में कुछ क्षेत्रों में केवल जियो और एयरटेल का नेटवर्क उपलब्ध है।
कैशलेस लेन-देन के लिए नेटवर्क की आवश्यकता क्यों है?
कैशलेस लेन-देन के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है, जो नेटवर्क की कमी से प्रभावित होती है।
क्या बीएसएनएल का नेटवर्क गंगटोक में कार्य करता है?
बीएसएनएल का नेटवर्क आंशिक रूप से कार्य करता है, लेकिन यह विश्वसनीय नहीं है।
क्या गंगटोक में नेटवर्क कवरेज में सुधार हुआ है?
हाल के वर्षों में नेटवर्क कवरेज में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कई कमियां हैं।