क्या गौतम अदाणी ने आईआईटी खड़गपुर में छात्रों को विरासत को प्राथमिकता देने के लिए कहा?

सारांश
Key Takeaways
- विरासत का महत्व समझें।
- आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दें।
- भारत को 2050 तक 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम करें।
- तकनीकी नवाचार में निवेश करें।
- उद्योग जगत को अनुसंधान में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
खड़गपुर (पश्चिम बंगाल), 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने सोमवार को आईआईटी खड़गपुर में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें वेतन की अपेक्षा विरासत वाले जीवन को अधिक महत्व देना चाहिए।
आईआईटी खड़गपुर की प्लेटिनम जुबली समारोह में गौतम अदाणी ने कहा कि आज के युवा भारतीयों के सामने दो विकल्प हैं। पहला - विदेश में सुरक्षित नौकरियों के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शामिल होना या भारत में रहकर एक ऐसा राष्ट्र बनाना जो 2050 तक 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देखता हो।
उन्होंने 16 सालअहमदाबाद छोड़कर मुंबई जाने के अपने निर्णय को याद करते हुए कहा, "एक ट्रेन आपको सैलरी तक ले जाती है, जबकि दूसरी विरासत तक, और यही ट्रेन आपको भारत के निर्माण का गौरव दिला सकती है।"
गौतम अदाणी ने आत्मनिर्भर भारत पर जोर देते हुए कहा कि 21वीं सदी में सच्ची आजादी सेमीकंडक्टर, ऊर्जा, रक्षा प्रणालियों और डेटा संप्रभुता में आत्मनिर्भरता से ही आएगी।
उन्होंने कहा कि आज तकनीकी बदलाव की गति इतिहास के किसी भी अन्य दौर से अलग है।
"परिवर्तन एक गुना की गति से नहीं हो रहा है। इसकी गति दस गुना या सौ गुना है और यह हजार गुना की ओर बढ़ रही है, क्योंकि एआई, एआई का निर्माण शुरू कर रहा है, एलएलएम, एलएलएम लिखना शुरू कर रहे हैं, रोबोट, रोबोट बनाना शुरू कर रहे हैं, और मशीनें, मशीनों को सिखाना शुरू कर रही हैं।"
संबोधन में अरबपति उद्योगपति ने स्वीकार किया कि भारतीय कॉर्पोरेट जगत भी "इनोवेशन की कमी" के लिए जिम्मेदार है और उन्होंने उद्योग जगत से अनुसंधान एवं विकास में और अधिक निवेश करने की अपील की।
उन्होंने कहा, "अगर हम कॉर्पोरेट जगत हाथ आगे नहीं बढ़ाएंगे, तो हम विदेशी आविष्कारों के उपयोगकर्ता ही बने रहेंगे और कभी भी आविष्कारक नहीं बन पाएंगे। यह एक ऐसा भविष्य है जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते।"
इसके अतिरिक्त, गौतम अदाणी ने अदाणी-आईआईटी प्लेटिनम जुबली चेंज मेकर्स फेलोशिप की घोषणा की। साथ ही रिन्यूएबल एनर्जी, लॉजिस्टिक्स और एयरपोर्ट्स में "लीविंग लैबोरेट्री" की स्थापना की, जिससे आईआईटीयन वास्तविक दुनिया की चुनौतियों पर अपने विचारों का परीक्षण कर सकें।