क्या हम वियतनाम और भारत के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत कर सकते हैं?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- गौतम अदाणी का वियतनाम से आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने का प्रयास।
- वियतनाम का आर्थिक विकास और क्षेत्रीय नेतृत्व।
- द्विपक्षीय व्यापार 15.76 अरब डॉलर तक पहुँचा।
- वियतनाम भारत का 20वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- प्रधानमंत्री मोदी की वियतनाम यात्रा का महत्व।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अदाणी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने बुधवार को वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव टो लाम से मुलाकात की और कहा कि वे वियतनाम-भारत आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए तत्पर हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, गौतम अदाणी ने वियतनाम को बंदरगाहों और ऊर्जा जैसे सभी क्षेत्रों में एक क्षेत्रीय नेता के रूप में स्थापित करने के लिए लाम के साहसिक सुधारों और दूरदर्शी एजेंडे की सराहना की।
अरबपति उद्योगपति ने कहा, "वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव टो लाम से मिलना मेरे लिए एक विशेष अवसर था। एनर्जी, लॉजिस्टिक्स, बंदरगाहों और विमानन क्षेत्र में वियतनाम को एक क्षेत्रीय नेता के रूप में स्थापित करने के उनके साहसिक सुधार और दूरदर्शी एजेंडा असाधारण रणनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाते हैं।"
गौतम अदाणी ने आगे कहा, "हम इस परिवर्तनकारी यात्रा में योगदान देने और वियतनाम-भारत आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए तत्पर हैं।"
भारत और वियतनाम के बीच लंबे समय से व्यापारिक और आर्थिक संबंध हैं।
वित्त वर्ष 2025 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 15.76 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 6.40 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वियतनाम को भारत का निर्यात 5.43 अरब डॉलर रहा, जबकि वियतनाम से भारत का आयात 10.33 अरब डॉलर रहा।
वित्त वर्ष 2024-2025 में, वियतनाम भारत का 20वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और वैश्विक स्तर पर 15वां सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य रहा।
पिछले सप्ताह, वियतनाम में भारत के राजदूत, संदीप आर्य ने टिएन सा पोर्ट का दौरा किया, जहां भारतीय नौसेना के जहाज दिल्ली, शक्ति, और किल्टन ने वियतनाम के दा नांग में पोर्ट कॉल किया, जो हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री संबंधों को गहरा करने और समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने के प्रयासों को उजागर करता है।
यह तैनाती भारत के 'महासागर' दृष्टिकोण के अनुरूप है और एक पसंदीदा साझेदार बनने की भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। वियतनाम की यह यात्रा भारत-वियतनाम रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नियम-आधारित, समावेशी समुद्री व्यवस्था को आगे बढ़ाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।
इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रियो डी जेनेरियो में 2025 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान वियतनामी प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह से मुलाकात की थी। वियतनाम इस साल जनवरी में ब्रिक्स का सदस्य बना था।
भारत और वियतनाम के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मधुर द्विपक्षीय संबंध हैं, जिन्हें एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी कहा जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान 2016 में भारत-वियतनाम संबंधों को 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' के रूप में उन्नत किया गया था।
गौरतलब है कि इससे पहले, इन संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' का दर्जा दिया गया था।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            