क्या गाजियाबाद में डीएम का सख्त रुख 35 अधिकारियों के वेतन को रोकने का कारण बना?

सारांश
Key Takeaways
- डीएम रविन्द्र कुमार ने 35 अधिकारियों का वेतन रोका।
- शिकायतों का संतोषजनक निस्तारण नहीं किया गया था।
- अधिकारियों का फीडबैक शून्य प्रतिशत रहा।
- जनहित की उपेक्षा पर कड़ी कार्रवाई की गई।
- सरकारी कार्यों के प्रति गलत रवैया दर्शाने पर वेतन रोकने का निर्णय।
गाजियाबाद, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गाजियाबाद में जन शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने सख्त कार्रवाई की है। डीएम ने जिले के 35 अधिकारियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया है और मुख्य कोषाधिकारी को निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक इन अधिकारियों का वेतन न दिया जाए।
यह कार्रवाई आईजीआरएस यानी एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली पर अधिकारियों के खराब प्रदर्शन के चलते की गई है। जानकारी के अनुसार, इन सभी 35 अधिकारियों का जनता से प्राप्त संतुष्टि फीडबैक शून्य प्रतिशत पाया गया। यानी लोगों की शिकायतें निपटाने में इन अधिकारियों की तरफ से कोई संतोषजनक प्रयास नहीं किया गया।
डीएम रविन्द्र कुमार ने इसे जनहित की उपेक्षा मानते हुए सख्ती दिखाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिकायतों के निस्तारण में सुधार नहीं हुआ तो आगे और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों की लापरवाही से केवल जनता ही परेशान नहीं हुई, बल्कि जिले की प्रशासनिक छवि भी प्रभावित हुई है।
जानकारी के अनुसार, कई अधिकारी शिकायतों को केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए निपटा रहे थे। उन्होंने समय पर या सही तरीके से शिकायतों का निवारण नहीं किया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।
डीएम ने बताया कि सितंबर महीने में इन 35 विभागों के किसी भी अधिकारी को जनता से कोई सकारात्मक फीडबैक नहीं मिला। यही वजह रही कि उन्होंने कठोर कदम उठाते हुए वेतन रोकने का आदेश दिया।
डीएम ने कहा कि आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायतों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करना हर अधिकारी की जिम्मेदारी है। शासनादेश के मुताबिक, सभी अधिकारियों को पहले भी बैठक और पत्र के जरिए निर्देश दिए गए थे कि शिकायतों का सही तरीके से निवारण किया जाए। लेकिन इन अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण उनका संतुष्टि फीडबैक शून्य प्रतिशत दिखा।
रविन्द्र कुमार ने स्पष्ट किया कि यह लापरवाही शासकीय कार्यों के प्रति गलत रवैये का संकेत है। इसलिए अब यह तय किया गया कि अगले आदेश तक इन अधिकारियों को मासिक वेतन नहीं मिलेगा।